सिर्फ छक्के-चौके से तय नहीं होगा टी20 वर्ल्ड कप… सचिन तेंदुलकर ने बताया, क्या है जरूरी

मैच के दौरान शॉट खेलते मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर.  (एएफपी फाइल फोटो)

मैच के दौरान शॉट खेलते मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर.

मुंबई. टी20 क्रिकेट में छक्के-चौके लगाने वाले खिलाड़ी अहम होते हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के बड़े मैदानों पर, जहां बाउंड्री प्रतिशत अक्सर 50 से कम होता है, विकेटों के बीच दौड़ना काफी महत्व रखता है. सचिन तेंदुलकर ने 22 गज की दूरी तय करने को लेकर अपना नजरिया पेश किया है. उन्होंने अपनी बात को समझाते हुए कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया में, अलग-अलग आकार वाले मैदानों के साथ, जहां एडिलेड जैसे कुछ स्थानों पर स्ट्रेट बाउंड्री लंबी होंगी, किसी और मैदान पर स्क्वॉयर बाउंड्री लंबी होंगी. यदि आप कड़ी मेहनत और चतुराई से दौड़ने के लिए तैयार हैं, तो आप वहां चमत्कार कर सकते हैं.’

तेंदुलकर ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने कॉलम में कहा कि अगर आप कड़ी मेहनत और स्मार्ट तरीके से दौड़ने के लिए तैयार हैं, तो आप ऑस्ट्रेलिया में कमाल कर सकते हैं. ‘मास्टर ब्लास्टर’ ने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया में, उनके पास ड्रॉप-इन पिचें होंगी और किनारों पर मोटी घास हो सकती है. ऐसे में आपको दो तरह की सतहों से निपटने की जरूरत होगी. ड्रॉप-इन टर्फ की कठोर सतह और इसके ठीक बगल में नरम.’ सचिन ने बल्ले को जमीन पर टिकाकर खेलने को स्किल करार दिया और कहा कि नरम सतहों पर, शॉट खेलते समय बल्ला हमेशा फंस सकता है… यहां तक कि हार्ड ड्रॉप-इन टर्फ पर भी ऐसा मुमकिन है.

सचिन ने कहा कि इस तरह की पिचों पर ग्राउंडेड शॉट खेलने का अपना एक खास तरीका होता है. उन्होंने कहा, ‘सबसे अहम यह है कि बल्ला किस तरफ से जमीन पर जाता है. जिस तरह से बल्ले के नीचे के किनारों को आकार दिया जाता है और जिस तरह से बल्ले के पीछे का उभरा हुआ बड़ा हिस्सा असंतुलन पैदा करता है, उसके साथ ही सामने की तुलना में बल्ले के पिछले हिस्से से किनारा लगने का एक बड़ा मौका होता है और ऐसे में बल्ला जमीन से ऊपर उठ सकता है. इसलिए, जब आप मुड़ते हैं और गेंद को मारने के लिए स्लाइड करते हैं, तो यह जरूरी है कि बल्ले का अगला भाग पिच पर टिके ताकि वह बिना फंसे बॉल को हिट करे.’

अपनी बात को जारी रखते हुए उन्होंने आगे कहा, ‘बैट-फेस को डाउन रखें. यदि आप बल्ले के अंदरूनी किनारे को साइड-स्क्रीन, बैट-फेस डाउन की ओर रखते हैं, तो इसके पिच पर कहीं भी फंसने की संभावना कम होती है.’ तेदुलकर ने यह भी कहा कि वे ऑस्ट्रेलिया में अपने जूतों में लगे स्पाइक्स को और तेज करना चाहेंगे.

उन्होंने कहा, ‘ऑस्ट्रेलियाई पिचों के लिए, मैं लंबी फुल स्पाइक्स की सिफारिश करूंगा. वास्तव में, मैं बल्लेबाजी करने से पहले स्पाइक्स को और ज्यादा तेज करने के लिए अपने नाखूनों को थोड़ा नुकीला कर दूंगा. यदि स्पाइक्स थोड़े कुंद हैं, तो वे सतह में सही से नहीं जाते हैं; ऑस्ट्रेलिया की कठिन पिचों पर तेज स्पाइक्स ज्यादा आसानी से अपनी पकड़ बनाते हैं और यह आपको बेहतर तरीके से आगे बढ़ने में मदद करता है. आउटफील्ड पर, फील्डिंग के दौरान, नरम स्पाइक्स ठीक होते हैं… लेकिन बल्लेबाजी करते समय, स्प्रिंटर्स स्पाइक्स पहनना चाहिए. इस तरह की छोटी-छोटी चीजें आपके पक्ष में काम कर सकती हैं.’