Taali की ट्रांसजेंडर श्रीगौरी सावंत की जिंदगी है एक ट्रेजडी, बोलीं- ‘पिता ने मेरे जीते जी किया था अंतिम संस्कार’

'ताली' में सुष्मिता सेन श्रीगौरी सावंत का रोल निभा रही हैं. (फोटो साभार: Instagram@shreegaurisawant@sushmitasen47)

‘ताली’ में सुष्मिता सेन श्रीगौरी सावंत का रोल निभा रही हैं.

ट्रांसजेंडर श्रीगौरी सावंत (Shreegauri Sawant) एक्टिविस्ट हैं, जिनकी जिंदगी को पर्दे पर दिखाने की तैयारी हो रही है. सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) ने अपनी अगली वेब सीरीज ‘ताली’ (Taali) के बारे में बताया, जिसमें वे श्रीगौरी सावंत का रोल निभाने जा रही हैं. वे मुंबई से ताल्लुक रखती हैं, जहां वे मलाड में करीब 500 ट्रांसजेंडर के साथ गुजर-बसर करती हैं. वे समाज के हाशिये में रहने वाले सेक्स वर्कर्स के हितों के लिए काम करती रही हैं. वे अपने काम के चलते देशभर में मशहूर हुईं और आज उन पर एक वेब सीरीज बन रही है.

श्रीगौरी सावंत ने अपने नेक काम से जो पहचान बनाई है, उसे पाने के लिए उन्हें जिंदगी में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. उन्होंने परिवार-समाज के तिरस्कार के बीच तंगहाली में अपनी जिंदगी को एक मकसद दिया और आगे बढ़ीं. उन्होंने 16 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, श्रीगौरी सावंत ने एक बातचीत के दौरान अपनी निजी जिंदगी के बारे में खुलकर बताया. वे अपने भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं. वे कहती हैं, ‘मैं अपने मां-बाप की तीसरी संतान हूं, इसलिए भगवान ने मुझे थर्ड जेंडर बना दिया.’ वे ट्रांसजेंडर होने का दंश बचपन से झेल रही हैं. उनका परिवार इस बात को कभी स्वीकार नहीं कर पाया कि उनकी तीसरी संतान एक ट्रांसजेंडर है.

श्रीगौरी सावंत का बचपन तकलीफों में बीता
वे बताती हैं, ‘9 साल की थी, तब मां का साया सिर से उठ गया. सहमी-सहमी रहती थी. बुलिंग का शिकार हुई. कोई बात नहीं करता था. मेकअप और साड़ी पहनने में पाबंदी थी. भले मुझे मारा-पीटा न गया हो, पर मुझे लोगों की उपेक्षा भीतर ही भीतर तकलीफ देती थी. पिता ने मेरे जीते जी मेरा अंतिम संस्कार किया था.’ जब उन्हें घरवालों की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं हुई तो वे घर छोड़कर चली गईं.

एड्स कंट्रोल सोसाइटी के लिए काम करती हैं श्रीगौरी सावंत
श्रीगौरी सावंत घर से भागने के बाद यहां-वहां भटकीं और आखिर में अपनी गुरु कंचन अम्मा के संपर्क में आईं. कंचन अम्मा ने उन्हें सिग्नल में भटकते हुए देखा तो उन्हें अपने साथ घर ले आईं. ट्रांसजेंडर को ‘सेक्स वर्कर’ या भीखा मांगने जैसे काम करने पड़ते थे, लेकिन वे खूबसूरत न होने की वजह से सेक्स वर्कर नहीं बन पाईं. भीख मांगना उन्हें अच्छा नहीं लगा तो वे एक एनजीओ से जुड़ गईं. वे फिलहाल महाराष्ट्र के एड्स कंट्रोल सोसाइटी के साथ काम करती हैं