शहीद-ए-आज़म भगत सिंह (Shaheed e Azam Bhagat Singh), सुखदेव थापर (Sukhdev Thapar) और शिवराम हरि राजगुरु (Shivram Hari Rajguru) को ने देश के लिए हंसते-हंसते 23 मार्च, 1931 को फांसी के फंदे को चूमा. कहते हैं न इन तीनों के चेहरे पर कोई तनाव था और न माथे पर कोई शिकन.Continue Reading