31 मई की वो सुबह आज भी याद है. एक आंख ही खुली थी और आदतन मोबाइल पर हाथ मारा. ये देखने के लिए कि और कितना सो सकते हैं, Muscle Memory के सदके! एक बार फ़ेसबुक खोल ही लिया. सबसे पहले फ़ीड पर जो दिखा वो देखकर मैं बाथरूमContinue Reading

सुबह एक आंख ही खुली थी और आदतन मोबाइल पर हाथ मारा. ये देखने के लिए कि और कितना सो सकते हैं, Muscle Memory के सदके! एक बार फ़ेसबुक खोल ही लिया. सबसे पहले फ़ीड पर जो दिखा वो देखकर मैं बाथरूम भागी. ठंडे पानी से आंखें, चेहरा धोया, दोContinue Reading