उत्तराखंड की धरती को अगर आंदोलनों की धरती कहा जाए तो गलत नहीं होगा. 1921 का कुली बेगार आन्दोलन, 1930 का तिलाड़ी आन्दोलन, 1984 का नशा नहीं रोजगार दो आन्दोलन, 1994 का उत्तराखंड राज्य प्राप्ति आन्दोलन, ऐसे छोटे बड़े कई आंदोलनों ने यह बात सिद्ध की है कि यहां कीContinue Reading