जब हम छोटे थे तो हमारी सुबह मोबाइल या घड़ी के अलार्म से नहीं होती थी. सुबह-सुबह चिड़ियों की चहचहाट से पूरा वातावरण गूंज उठता था और न चाहते हुए भी हम आंखें मिचते हुए उठते थे. स्कूल में लंच टाइम में भी कौवे और अन्य परिंदों की भी नज़रContinue Reading