पीपल-बरगद या किसी भी पेड़ के नीचे, पार्क्स की बाउंड्री पर बनी दीवारों पर, मंदिर के प्रांगण में और कभी-कभी तो सड़क के किनारे ही देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, टूटी-फूटी या पुरानी फ़ोटो फ़्रेम्स दिख जाती हैं. लोग भगवान को घर पर लाते हैं पूजा-अर्चना करते हैं लेकिन जब वो ‘पुराने’Continue Reading