राष्ट्रकवि दिनकर के शब्दों में,  है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके वीर नर के मग में खम ठोंक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़ मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है इंसान अगर ठान ले दो मुश्किल से मुश्किल हालात को भीContinue Reading