मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. इन पक्तियों को सच कर दिखाया है नागपुर के श्रीकांत पंतवाने ने, जिन्होंने स्कूली दिनों में डिलीवरी बॉय का काम किया. ऑटो चलाया. गरीबी सपनों के आगे रूकावट बनी.Continue Reading

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. इन पक्तियों को सच कर दिखाया है नागपुर के श्रीकांत पंतवाने ने, जिन्होंने स्कूली दिनों में डिलीवरी बॉय का काम किया. ऑटो चलाया. गरीबी सपनों के आगे रूकावट बनी.Continue Reading

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. इन पक्तियों को सच कर दिखाया है नागपुर के श्रीकांत पंतवाने ने, जिन्होंने स्कूली दिनों में डिलीवरी बॉय का काम किया. ऑटो चलाया. गरीबी सपनों के आगे रूकावट बनी.Continue Reading