मुख्य आकर्षण रेनुका अपने तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. उनका बड़ा भाई बेंगलुरु पढ़ाई के लिए चला गया लेकिन रेनुका परिवार के साथ रह कर ही पढ़ाई कर रहे थे. स्कूल से आने के बाद वो पिता के साथ जाकर भिक्षा मांगते. 12 साल की उम्र में उन्होंने एकContinue Reading

ग़रीबी और और अभाव बचपन छीन लेता है. हर दिन उम्मीद न छोड़ने का संघर्ष करते रहना पड़ता है. इस बदहाली को मात देने का हौसला ही आपको आगे बढ़ने देता है. कुछ ऐसी ही कहानी है रेनुका आराध्य की है, जिन्होंने ग़रीबी और संघर्ष से निकलकर एक कंपनी खड़ी कर दी. 150 लोगोंContinue Reading