पूर्ण स्वराज्य का जुलूस निकल रहा था. कुछ युवक, कुछ बूढ़े, कुछ बालक झंडियां और झंडे लिए वंदेमातरम् गाते हुए माल के सामने से निकले. दोनों तरफ दर्शकों की दीवारें खड़ी थीं, मानो उन्हें इस लक्ष्य से कोई सरोकार नहीं हैं, मानो यह कोई तमाशा है और उनका काम केवलContinue Reading