एक दिन, एक हफ़्ते, एक महीने या एक साल में हमें आज़ादी नहीं मिली. असंख्य लोगों ने कई साल संघर्ष किया, अपने प्राणों की आहुति दी और तब कहीं जाकर हमें आज़ाद देश का दर्जा मिला. हमारे उज्जवल ‘कल’ के लिए उन्होंने अपना हंसते-हंसते अपना ‘आज’ कुर्बान कर दिया. दुख की बातContinue Reading