हमने फ़ुटपाथ पर बैठे, पेड़ के नीचे कुर्सी लगाए नाई को कई बार देखा है. कड़ी धूप में मेहनत करते उन लोगों की ज़िन्दगी, रोज़मर्रा की जद्दोजहद का अंदाज़ा लगा सकते हैं. कुछ ऐसी ही ज़िन्दगी थी रमेश बाबू की. लेकिन, रमेश बाबू को अपनी ज़िन्दगी मंज़ूर नहीं थी. उन्होंनेContinue Reading

हमने फ़ुटपाथ पर बैठे, पेड़ के नीचे कुर्सी लगाए नाई को कई बार देखा है. कड़ी धूप में मेहनत करते उन लोगों की ज़िन्दगी, रोज़मर्रा की जद्दोजहद का अंदाज़ा लगा सकते हैं. कुछ ऐसी ही ज़िन्दगी थी रमेश बाबू की. लेकिन, रमेश बाबू को अपनी ज़िन्दगी मंज़ूर नहीं थी. उन्होंनेContinue Reading

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हमने फ़ुटपाथ पर बैठे, पेड़ के नीचे कुर्सी लगाए नाई को कई बार देखा है. कड़ी धूप में मेहनत करते उन लोगों की ज़िन्दगी, रोज़मर्रा की जद्दोजहद का अंदाज़ा लगा सकते हैं. कुछ ऐसी ही ज़िन्दगी थी रमेश बाबू की. लेकिन, रमेश बाबू को अपनी ज़िन्दगी मंज़ूर नहीं थी. उन्होंनेContinue Reading