पाठशाला खुला दो महाराज मोर जिया पढ़ने को चाहे! आम का पेड़ ये ठूंठे का ठूंठा काला हो गया हमरा अंगूठा यह कालिख हटा दो महाराज मोर जिया लिखने को चाहे पाठशाला खुला दो महाराज मोर जिया पढ़ने को चाहे! ’ज’ से जमींदार ’क’ से कारिन्दा दोनों खा रहे हमकोContinue Reading