उज्जैन. साल 1996 में मुझे महाकाल मंदिर के प्रशासक का दायित्व मिला. यह दायित्व उस दुर्घटना के बाद मिला था, जिसमें भगदड़ की वजह से 34 श्रृद्धालुओं की मौत हो गई थी. मेरे सामने चुनौती थी भक्तों में व्यवस्था को लेकर विश्वास कायम करना. लिहाजा, यहां बतौर प्रशासक कई काम शुरूContinue Reading