कोरोना को हल्‍के में लेना सबसे बड़ी गलती! दोबारा हुआ तो मौत का रिस्‍क ज्‍यादा है, डरा रही नई स्‍टडी

Covid Reinfection Risk Factors: नेचर मेडिसिन में छपी स्‍टडी के अनुसार, कोविड रीइन्‍फेक्‍शन से कई शारीरिक और मानसिक बीमारियों यहां तक कि मौत का खतरा बढ़ जाता है।

नई दिल्‍ली: कोविड-19 को हल्‍के में लेने की भूल न करें। दोबारा संक्रमण से कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ताजा रिसर्च बताती है कि कोविड रीइन्‍फेक्‍शन से मौत का खतरा भी बढ़ता है। ‘नेचर मेडिसिन’ में छपी रिसर्च के मुताबिक, खतरा रीइन्‍फेक्‍शन के शुरुआती छह महीनों में सबसे ज्‍यादा होता है मगर उसके बाद भी रह सकता है। अमेरिका में पूर्व सैनिकों पर यह रिसर्च की गई। डेटाबेस के कुल 58.2 लाख वेटरंस हैं जिनमें से 4,43,588 को एक बार कोविड हुआ। 40,797 लोगों को दोबारा इन्‍फेक्‍शन लिया। करीब 53.3 लाख लोगों ने कहा कि उन्‍हें बीमारी हुई थी। सिंगल कोविड वाले केसेज के मुकाबले रीइन्‍फेक्‍शन वाले मामलों में मृत्‍यु-दर ज्‍यादा रही। अनवैक्‍सीनेटेड या एक-दो डोज लेने वाले भी रिस्‍क कैटिगरी में पाए गए। रिसर्चर्स के अनुसार, रीइन्‍फेक्‍शन से न सिर्फ एक्‍यूट, बल्कि पोस्‍ट-एक्‍यूट दिक्‍कतें भी बढ़ती हैं।
कोविड रीइन्‍फेक्‍शन से किनका रिस्‍क बढ़ जाता है?

शरीर के कवच को कन्फ्यूज कर रहा ‘XBB’ Omicron, नए वेरिएंट से कितना रिस्‍क? एक्‍सपर्ट्स से जानें
  • xbb-

    देश में SARS-CoV-2 की जीनॉमिक्‍स को लेकर 54 लैब्‍स का एक कंसोर्टियम बना है, जिसे INSACOG कहते हैं। INSACOG ने ताजा बयान में कहा है कि XBB के मामले कई राज्‍यों से मिले हैं। इसका एक सब-लीनिएज भी मिला है जिसमें एक अतिरिक्‍त म्‍यूटेशन है, जिसे XBB.1 कहा जा रहा है। INSACOG के अनुसार, इन वेरिएंटस से जुड़े मामलों में बीमारी की गंभीरता बढ़ने या अस्‍पताल में भर्ती होने की दर बढ़ने की रिपोर्ट्स नहीं हैं। यह वेरिएंट भारत में काफी तेजी से फैल रहा है। पिछले दो हफ्तों में सीक्‍वेंस किए गए नमूनों में से आधे XBB वेरिएंट के हैं।

  • -xbb-

    लैब्‍स के पैनल ने कहा कि भारत में लोग इन वेरिएंट्स के चलते हल्‍के बीमार हो रहे हैं। बीमारी की गंभीरता में कोई बढ़त नहीं देखी गई। INSACOG ने कहा कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है, बस सावधानी बरतें। INSACOG ने कहा कि SARS-CoV-2 वायरस लगातार म्‍यूटेट हो रहा है। इसके चलते, नए वेरिएंट्स और संक्रामक और इम्‍युन सिस्‍टम को और ज्‍यादा चकमा देने वाले हो सकते हैं।

  • -

    कुछ रिसर्चर्स का कहना है कि XBB सब-वेरिएंट के संक्रमण से वैक्‍सीन नहीं बचा पाएंगी। ऐसे भी संकेत हैं कि XBB से रीइन्‍फेक्‍शंस के वाकये बढ़ सकते हैं। महाराष्‍ट्र के स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की चेतावनी है कि XBB वेरिएंट का पीक नवंबर के मध्‍य तक देखने को मिल सकता है।

वैक्सीन के बाद भी हो सकता है कोरोना
वैक्सीन लगवा चुके लोग भी कोरोना वायरस की चपेट में आ सकते हैं। अगर आप बुखार, खांसी, जुकाम, सिरदर्द वगैरह जैसी दिक्कतों से जूझ रहे हैं, तो जरूरी नहीं कि यह बदलते मौसम की वजह आपको हो रहा हो, बल्कि यह कोरोना भी हो सकता है। हाल ही में आई एक स्टडी के मुताबिक, वैक्सीन लगाने के बाद भी आपको कोरोना हो सकता है। यूनाइटेड किंगडम में चल रहे एक अध्ययन ने सबसे हालिया कोविड लक्षणों पर डेटा प्रकाशित किया है।

अगर हैं ये लक्षण तो हो जाएं अलर्ट
सिर दर्द: सिर में दर्द होना कोविड का सबसे आम लक्षण है और इसे डेल्टा स्ट्रेन से संक्रमित होने पर भी देखा गया है। माथे और कनपटी के आसपास दर्द शरीर में सूजन का नतीजा हो सकती है, जिसके साथ मांसपेशियों और शरीर में दर्द की समस्या भी आ सकती है।

नाक का बहना: ज्‍यादातर डॉक्टर्स अब लोगों को चेतावनी दे रहे हैं कि वे सर्दी के लक्षणों को नजरअंदाज न करें। जैसे ही नाक बहना, नाक से पानी आना या फिर नाक के बंद होने जैसे लक्षण दिखें, फौरन कोविड टेस्ट कराएं।
छींके आना: कई रिसर्च के बाद एक्सपर्ट्स की सलाह है कि जिन लोगों को वैक्सीन लगी होती है, वे छींके आने पर सचेत हो जाएं। खासतौर पर जिन लोगों को वैक्सीन लगने के बाद कोविड संक्रमण होता है, लक्षण के तौर पर उन्हें छींके काफी आती हैं। हालांकि, छींके आना कोरोना संक्रमण का क्लासिक लक्षण नहीं है, लेकिन सर्वे में पाया गया कि अगर आपको ज़रूरत से ज़्यादा छीकें आ रही हैं, तो आपको कोविड का टेस्ट ज़रूर कराना चाहिए।
गले में खराश: बुख़ार और खांसी कोरोना वायरस संक्रमण के अहम लक्षण हैं, लेकिन गले में ख़राश होने पर भी सचेत हो जाना चाहिए। गले में खराश, जो अक्सर एलर्जी या मौसमी संक्रमण के तौर पर होता है, कोविड-19 का लक्षण भी हो सकता है। इसलिए अगर आप गले में खराश, आवाज में कठोरता, सांस का फूलना या खाना निगलने में तकलीफ पर फौरन कोरोना टेस्ट करवाएं।

लापरवाही नहीं, तुरंत जांच कराएं
यदि आप अस्वस्थ महसूस करते हैं तो बिना देर किए अपना कोविड टेस्ट कराएं और निगेटिव रिपोर्ट आने तक दूसरों से दूरी बनाकर रखें। एक्सपर्ट का कहना है कि कोविड के बदले हुए सिम्टम्स से खासकर युवा आबादी के ज्यादा संक्रमित होने की संभावना है इसलिए आपको सावधान रहना होगा, भले ही आप गंभीर रूप से बीमार महसूस न करें। मेंज विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में किए गए गुटेनबर्ग कोविड -19 स्टडी से पता चला है कि संक्रमित सभी लोगों में केसे 40% से अधिक अपने कोविड संक्रमण से अनजान थे। स्टडी के मुताबिक, कोविड वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है। इसलिए अगर इन लक्षणों के अलावा, सांस लेने में तकलीफ, दस्त, पेट में दर्द, मतली, चक्कर आना, कमज़ोरी और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण दिखें, तो इग्‍नोर न करें।