मुल्ला मोहम्मद याकूब तालिबान और 1996 में अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की स्थापना करने वाले मुल्ला मोहम्मद उमर का बेटा है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के पहले इस शख्स का चेहरा बहुत कम लोगों ने ही देखा था। दुनिया की सबसे ताकतवर मानी जाने वाली खुफिया एजेंसी सीआईए के पास भी मुल्ला मोहम्मद याकूब की एक ही तस्वीर थी।
हाइलाइट्स
तालिबान लड़ाकों के साथ डूरंड लाइन पर पहुंचा
अफगान मीडिया टोलो न्यूज के अनुसार, अफगानिस्तान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने पख्तिया के जजई आरयूब जिले में डूरंड लाइन का दौरा किया। इस दौरान वे इस्लामिक अमीरात सेना के मंसूरी कोर भी पहुंचे। याकूब ने इस्लामिक अमीरात के लड़ाकों को संबोधित करते हुए कहा कि इस्लामिक अमीरात पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहता है और उनसे भी यही उम्मीद करता है कि वे अफगानिस्तान के प्रति भी अच्छे संबंध बनाए रखेंगे।
याकूब का दावा- पड़ोसियों से अच्छे संबंध चाहते हैं
मंसूरी कोर ने अपने बयान में बताया कि लड़ाकों के साथ बात करते हुए मुल्ला मोहम्मद याकूब ने कहा कि अफगानिस्तान कभी भी अन्य देशों के प्रति आक्रामक तरीके से काम नहीं करता है। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि इस्लामिक अमीरात कभी भी अफगान धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ करने की अनुमति नहीं देगा। इस बात को तालिबान अगस्त 2021 से कई बार दोहरा चुका है। इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र समेत कई देशों को आशंका है कि अफगान धरती से पूरी दुनिया में आतंकवाद फैल सकता है।
पिछले 1 साल में बदल चुके हैं तालिबान-पाकिस्तान के रिश्ते
पाकिस्तान और तालिबान के रिश्ते सिर्फ 1 साल में सुरक्षा और क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर दोस्ती से दुश्मनी में बदल चुके हैं। हालांकि, पाकिस्तान अभी तक यह नहीं मानता है कि तालिबान उन आतंकी समूहों को शरण प्रदान कर रहा है जो सीमा पार से उनके देश में घातक हमले कर रहे हैं। दरअसल, इन दिनों तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान ने पाकिस्तानी सेना की नाक में दम कर रखा है। यही कारण है कि पाकिस्तान ने सीमा पार कर अफगानिस्तान के अंदर घुसकर कई बार एयरस्ट्राइक की है। इसे लेकर तालिबान सरकार ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी भी जारी की थी।
डूरंड लाइन को लेकर भी पाकिस्तान-तालिबान में तनाव
पाकिस्तान और अफगानिस्तान में तनाव बढ़ने का प्रमुख कारण डूरंड लाइन भी है। पाकिस्तानी सेना डूरंड लाइन पर तारबंदी कर रही है। यह बात तालिबान को बिलकुल भी स्वीकार्य नहीं है। इस कारण पाकिस्तानी सेना और तालिबान आतंकियों के बीच कई बार गोलीबारी भी हो चुकी है। डूरंड लाइन को पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा की मान्यता ब्रिटिश औपनिवेशिक युग में दी गई थी। इसे न तो अफगानिस्तान का नागरिक प्रशासन मानता था और न ही तालिबान लड़ाके मानते हैं।