Taliban Rule In Afghanistan: घर पर भूख से बिलखते बच्चे और सड़कों पर भीख मांगती मां, काबुल की सड़कों पर रोटी का इंतजार करती महिलाएं

Women Begging in Afghanistan : काबुल की सड़कों पर बैठी इन महिलाओं की तस्वीर इस बात का सबूत है कि देश की अर्थव्यवस्था धराशायी हो चुकी है और कैसे देश की जनता एक साथ कई संकटों के बोझ तले दबी हुई है।

 
kabul
प्रतीकात्मक फोटो (साभार : ट्विटर)

हाइलाइट्स

काबुल : अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में जब शाम ढलती थी तो अफगान नागरिक अपने आसपास की बेकरी पर रात के खाने के लिए ताजा रोटियां खरीदने जाते थे। लेकिन पिछले अगस्त में जब तालिबान ने देश पर कब्जा किया तो लोगों की जिंदगी बदल गई। तालिबान राज में नीले बुर्के में दर्जनों महिलाएं शहर की बेकरियों के बाहर सड़क पर बैठी दिखाई देती हैं। चुपचाप बैठी इन महिलाओं को इंतजार रहता है किसी राहगीर का जो उन्हें रोटियां खरीद कर दे सके।

एनपीआर की रिपोर्ट के अनुसार इन महिलाओं में शामिल खादीजा नौ बच्चों की मां हैं। वह हर रोज दूर की एक झुग्गी से सूजे हुए पैरों से चलकर बेकरी तक आती हैं और अपने फटे-पुराने बुर्के में खाना मिलने का इंतजार करती है। खादीजा ने बताया, ‘मेरी बेटियां भूख से रोती हैं।’ खादीजा और मीडिया के सामने आने वाली अन्य महिलाओं ने रिपोर्ट में सिर्फ अपना पहला नाम इस्तेमाल करने की गुजारिश की क्योंकि भीख मांगते हुए उन्हें शर्म महसूस होती है।

अफगान संकट की सबसे स्पष्ट तस्वीर हैं ये महिलाएं
काबुल की सड़कों पर बैठी इन महिलाओं की तस्वीर इस बात का सबूत है कि देश की अर्थव्यवस्था धराशायी हो चुकी है और कैसे देश की जनता एक साथ कई संकटों के बोझ तले दबी हुई है। बेहद कम संसाधनों के साथ अफगान पिछले पांच साल में लड़ाई, महामारी, तीन सूखे और एक भूकंप को झेल चुके हैं। तालिबान के सत्ता में आने के बाद पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली मदद को रोक दिया जिससे हालात और खराब हो गए।

अक्सर खाली हाथ लौटती हैं खादीजा
रिपोर्ट बताती है, जब खादीजा बेकरी पर पहुंचती हैं तो वहां महिलाओं की भीड़ पहले से ही रोटी के इंतजार में बेकरी के बाहर बैठी होती है। इसलिए कुछ महिलाएं सड़क के दूसरी तरफ फुटपाथ पर बैठ जाती हैं। महिलाएं काबुल की बड़ी-बड़ी बेकरियों के सामने बैठती हैं क्योंकि वहां आने वाले ग्राहक अमीर होते हैं और उनके लिए रोटी खरीद सकते हैं। खादीजा का कहना है कि अक्सर उसे खाली हाथ लौटना पड़ता है। ऐसे दिनों पर वह पड़ोसियों के दरवाजे खटखटाती है बचा हुआ खाना मांगती है।

किडनी से लेकर बच्चे तक बेचने को मजबूर
अफगानिस्तान में करीब 2 करोड़ लोगों को खाने की जरूरत है यानी लगभग आधी आबादी। ये लोग बुरी तरह कर्ज में डूबे हुए हैं और अपनी जमीन, घर और किडनी तक बेच चुके हैं। कई रिपोर्ट्स में गरीबी और भूख के चलते अफगानों के अपने बच्चे बेचने की भी खबरें सामने आई है। एक सुदूर प्रांत में संयुक्त राष्ट्र को लगभग 20,000 अफगान मिले थे तो अकाल जैसी परिस्थितियों का सामना कर रहे थे और भूख से मर रहे थे।