इस साल जम्मू-कश्मीर में टारगेटेड अटैक के 20 मामलों में से, ज्यादातर अल्पसंख्यकों, प्रवासियों और सुरक्षा कर्मियों को निशाना बनाने के उद्देश्य से हुए हैं. द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे 14 मामलों में सुरक्षा बलों ने उन आतंकवादियों या उनके कथित सहयोगियों को मार डाला या गिरफ्तार किया है, जिनके टारगेटेड अटैक में शामिल होने का संदेह है, वहीं 6 मामले अब तक सॉल्व नहीं किए जा सके हैं. राज्य पुलिस के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है.
इन 20 लक्षित हमलों में मारे गए 22 लोगों में 1 कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी, राजपूत समुदाय का 1 सदस्य, 4 प्रवासी और पंचायत स्तर के 4 नेता शामिल हैं. इस सूची में 4 पुलिस कर्मी, सेना का 1 जवान, सीआरपीएफ के 2 जवान, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के 2 जवान और 3 स्थानीय निवासी भी शामिल हैं. आंकड़ों से इन हमलों के भौगोलिक प्रसार के बारे में भी पता चलता है.
मध्य और दक्षिणी कश्मीर में टारगेट किलिंग के सर्वाधिक मामले
मध्य कश्मीर में मारे गए 10 लोगों में, बडगाम में 7 और श्रीनगर में 3 शामिल हैं; दक्षिण कश्मीर में 10 मौतों में, कुलगाम में 5, पुलवामा में 3 और अनंतनाग और शोपियां में 1-1 शामिल हैं. उत्तरी कश्मीर के बारामूला में 2 लोग टारगेटेड किलिंग के शिकार हुए. छह अनसुलझे मामलों में हाल ही में दो दिनों में तीन हमलों में 3 हत्याएं शामिल हैं. इनमें जम्मू की महिला शिक्षक रजनी बाली की 31 मई, राजस्थान के बैंक प्रबंधक विजय बेनीवाल की 2 जून और 2 जून को ही बिहार के श्रमिक दिलखुश कुमार की हत्या कर दी गई थी.
जम्मू-कश्मीर पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक आतंकवादी, जो 21 अप्रैल को बारामूला के मालवाह गांव में मारा गया था, इन 22 में से 3 हत्याओं में शामिल था. जो 6 मामले अब तक सॉल्व नहीं हुए हैं उनमें, आरपीएफ कर्मी सुरिंदर सिंह और देब राज की 18 अप्रैल को हुई हत्या, 13 मई को पुलिसकर्मी रियाज अहमद ठाकुर की हत्या, 24 मई को पुलिसकर्मी सैफुल्लाह कादरी की हत्या के मामले शामिल हैं.
कश्मीर में टारगेट किलिंग रोकने के लिउ सुरक्षा की नई रणनीति
केंद्र सरकार ने लक्षित हत्याओं को रोकने के लिए 4500 कश्मीरी हिंदू व अन्य अल्पसंख्यक कर्मियों को कश्मीर के भीतरी इलाकों से जिला मुख्यालयों व तहसील मुख्यालयों में तैनात करने का फैसला किया है. करीब 600 कश्मीरी हिंदुओं को उनके द्वारा सुझाए गए स्थान पर नियुक्त किया गया है, इनमें 130 दंपती हैं. इसके अलावा देशभर से कश्मीर में काम करने गए अल्पसंख्यकों की बस्तियों के आसपास भी सुरक्षाबलों की गश्त बढ़ाई जा रही है. थाना और चौकी स्तर पर मानव बल की कमी को दूर करते हुए त्वरित कार्रवाई दस्ते तैनात किए जा रहे हैं. आतंकरोधी अभियानों में बीएसएफ और एसएसबी की भूमिका को भी बढ़ाया जा रहा है.