सोलन, 27 सितंबर : राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने हिमाचल प्रदेश को टीबी मुक्त राज्य बनाने में उद्योगपतियों से महत्वपूर्ण योगदान देने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों को आर्थिक विकास के साथ-साथ इस कार्य में भी अपना योगदान देना चाहिए। राज्यपाल ने सोमवार को सोलन जिले के नालागढ़ में क्षेत्र के उद्योगों की ओर से बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक संघ (बीबीएन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन) द्वारा आयोजित ‘मेम्बर्ज मीट’ को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलन का मुद्दा सामुदायिक स्वास्थ्य से जुड़ा है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न गतिविधियों को क्रियान्वित किया है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज विश्व के अधिकतर देशों में क्षय रोग का उन्मूलन हो चुका है, लेकिन भारत में अभी भी ऐसे मरीजों की संख्या बहुत अधिक है। इसी के दृष्टिगत प्रधानमंत्री ने वर्ष 2024 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2023 तक राज्य को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि अगर टीबी के मरीज सही समय पर अपना इलाज करवाएं तो निश्चित तौर पर हम इस लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सकते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि आज हमें टीबी उन्मूलन के लिए सामुदायिक रुप से साझा प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक संघ के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संघ ने जरूरत के अनुसार अपने सामाजिक दायित्वों का हमेशा निर्वहन किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि वर्ष 2023 तक संघ के प्रयासों से प्रदेश टीबी मुफ्त हो जाएगा। उन्होंने लोगों से क्षय रोग से पीड़ित एक व्यक्ति को गोद लेने और उनकी हर प्रकार सहायता की जिम्मेदारी लेने की अपील की। उन्होंने कहा वर्तमान आंकड़ों के अनुसार भारत में टीबी के 12.30 लाख मामले हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में वर्ष 2021 में प्रति लाख जनसंख्या पर 191 टीबी मामले हैं। वर्ष 2021 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में कुल 14492 टीबी के मामले हैं, जिनमें से 2.6 प्रतिशत जनजातीय क्षेत्रों में, 74 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों और 23.4 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में हैं।