Tea Garden: चाय बागान बेचने का रास्ता बंद, लैंड सीलिंग के दायरे वाले बड़े बागीचों के लिए कानून में संशोधन

जयराम सरकार ने लैंड सीलिंग एक्ट के दायरे वाले चाय बगीचे बेचने का रास्ता बंद कर दिया है। विधानसभा में इस बारे में हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक 2021 बजट सत्र के आखिरी दिन रखा गया और चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया गया। अब राज्यपाल की मंजूरी के बाद इसे राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। राज्य विधानसभा में हिमाचल प्रदेश भू जोत अधिकतम सीमा अधिनियम 1970 की धारा 6क और 7-क में संशोधन किया है। इन दोनों प्रावधानों में चाय बागान की जमीन का लैंड यूज चेंज और ट्रांसफर का प्रावधान रखा गया था। यह अनुमति देने का अधिकार राज्य में सरकार को था, लेकिन अब संशोधन के बाद राज्य सरकार भी ऐसा नहीं कर पाएगी। विधानसभा में इस विधेयक को पिछले साल रखा गया था, लेकिन विपक्ष के विरोध के बाद इसे सिलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया था। अब राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने बजट सत्र के आखिरी दिन इसे पारित करवा लिया। राजस्व मंत्री ने जैसे ही विधेयक को सदन में रखा।

कांग्रेस विधायक आशीष बुटेल ने इस पर आपत्तियां जताईं। उन्होंने कहा कि इस संशोधन से छोटे टी-गार्डन को बाहर रखा गया है, लेकिन जिस तरह धारा 7-क में संशोधन किया है, उससे छोटे टी गार्डन भी प्रभावित होंगे। इस संशोधन में चेंज ऑफ लैंड यूज तो है, लेकिन चेंज ऑफ ऑनरशिप नहीं आया है। उन्होंने ट्रांसफर इन ब्लड रिलेशन का प्रावधान करने की मांग भी की। जो जमीनें पहले बिक चुकी हंै, उनकी म्यूटेशन में आ रही दिक्कत का रास्ता निकालने का आग्रह भी किया गया। साथ ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण यह मामला सबज्यूडिस है।

इसलिए अभी इस बारे में फैसला न लिया जाए। जवाब में राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि जिनके पास 150 बीघा से कम चाय बागान हैं, यानी कि जो छोटे चाय बगीचे वाले लोग हैं, उनक पर कोई नई बंदिश नहीं होगी। कांगड़ा में ऐसे 8474 बगीचे हैं और मंडी में 838 बागान छोटे हैं, जबकि बड़े चाय बागानों की संख्या कम है, लेकिन इनकी जमीनों को इस एक्ट के तहत बेचने से रोकने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जनवरी 1971 से पहले जिनके पास बड़े चाय बागान हैं, उनके अधिकारों को हम खत्म नहीं कर रहे हैं, लेकिन सरकार चाहती है कि वह चाय के बागानों को विकसित करे। अभी तक 2000 बीघा से ज्यादा चाय बागानों की लैंड बिक चुकी है या ट्रांसफर हो चुकी है। यहां बड़े होटल और कामर्शियल मॉल बनाए गए बन गए हैं। इस प्रथा को रोकना होगा, इसलिए सरकार यह एक्ट लाई है। इसके बाद इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

 

जल्द होंगी जेबीटी की बैचवाइज भर्तियां

स्टाफ रिपोर्टर – शिमला

प्रदेश के प्रशिक्षित जेबीटी युवाओं को रोजगार देने के लिए जल्द ही प्रदेश में बैचवाइज भर्तियां की जाएंगी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंगलवार को यह बात विधानसभा के बाहर कही। उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षकों के हित में हमेशा कमा करते आई है। इसमें बीएड और टेट पास एलटी और शास्त्री को टीजीटी पदनाम दिया गया है। मंगलवार को जेबीटी डीएलएड संयुक्त मोर्चा विधानसभा के बाहर मुख्यमंत्री का धन्यवाद करने पहुंचा था। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा विभाग सबसे बड़ा विभाग है, जहां सबसे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।

बजट में बीएड और टेट योग्यता प्राप्त शास्त्री और भाषा अध्यापकों के पदनाम को बदलकर टीजीटी संस्कृत और टीजीटी हिंदी करने की घोषणा की है। इसी प्रकार प्रवक्ता स्कूल कैडर और प्रवक्ता स्कूल न्यू का पदनाम प्रवक्ता, स्कूल किया गया है। आगामी वित्तीय वर्ष के बजट में यह भी घोषणा की गई है कि टीजीटी से पदोन्नत प्रवक्ता को मुख्याध्यापक के रूप में पदोन्नति के लिए एक बार विकल्प दिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षणिक महासंघ के प्रांत महामंत्री डा. मामराज पुंडीर ने शिक्षकों के विभिन्न मुद्दों पर हमेशा ध्यान देने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।

झुग्गी-झोपड़ी वालों को जमीन पर मुहर

शिमला – राज्य विधानसभा में शिमला शहर से संबंधित दो विधेयकों को पारित कर दिया। पहला विधेयक स्लम एरिया में रहने वाले लोगों को दो बिस्वा जमीन का मालिकाना हक देने का था। इसे सोमवार को ही कैबिनेट में पारित करने के बाद विधानसभा में रखा गया था और जल्दबाजी में इसे सदन में रखने का विरोध भी कांग्रेस ने किया था। बजट सत्र के आखिरी दिन मंगलवार को जब इसे पारित करने के लिए रखा गया तो विपक्ष के कुछ विधायकों ने कहा कि लोगों का हित सुरक्षित करने के लिए इसमें कुछ और प्रावधान चाहिए थे। शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शहरों में झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले ऐसे लोगों को दो बिस्वा जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा, जो कई साल से यहां रह रहे हैं। उधर, राज्य सरकार ने अध्यादेश के जरिए नगर निगम के वार्डों को 34 से बढ़ाकर 41 कर दिया था।

इस बारे में विधेयक बजट सत्र के दूसरे दिन रखा गया था, जिसे आखिरी दिन चर्चा के लिए लिया गया। इसमें शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि 2017 में जब नगर निगम के वार्ड बनाए गए, तो डीलिमिटेशन में कुसुम्पटी चुनाव क्षेत्र में ही छह वार्ड बना दिए गए और आबादी का ध्यान नहीं रखा गया। इस बार राज्य सरकार ने आबादी के आधार पर शिमला शहरी में भी कुछ और वार्ड जोड़े हैं और यह लोगों को ज्यादा अच्छी सुविधाएं देने के लिए किया गया है। इस बिल पर भाजपा विधायक राकेश सिंघा ने कुछ आपत्तियां जताई और बालूगंज वार्ड को लेकर भी कुछ तर्क रखे। मंत्री ने जवाब दिया कि बालूगंज की परिधि को हमने नहीं छेड़ा है और यह एरिया वैसे भी शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के तहत आता है। इसके बाद राकेश सिंघा के विरोध के बावजूद इस बिल को भी ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।