फिल्म ‘पुष्पा द राइज’ की रिलीज के पहले तक संगीतकार डीएसपी यानी कि देवी श्री प्रसाद के बारे में हिंदी सिनेमा के दर्शक बस यही जानते थे कि वह बढ़िया डांस नंबर बनाते हैं। लेकिन इस फिल्म के गाने ‘तेरी झलक अशर्फी’ ने एक नए डीएसपी की परिचय हिंदी सिनेमा के दर्शकों से कराया। इस फिल्म के गानों की कामयाबी ने डीएसपी की दुनिया ही बदल दी है। अब वह हिंदी सिनेमा के पहली कतार के सितारों में से अजय देवगन की फिल्म ‘दृश्यम 2’, रणवीर सिंह की फिल्म ‘सर्कस’, सलमान खान की फिल्म ‘किसी की भाई किसी की जान’ और वरुण धवन की फिल्म ‘बवाल’ का संगीत बना रहे हैं। डीएसपी से ये एक्सक्लूसिव मुलाकात पंकज शुक्ल ने की गोवा के रिसॉर्ट बे 15 में..
हिंदी सिनेमा में गाने तो आप सलमान खान की फिल्म ‘रेडी’ के समय से बना रहे हैं, फिर हिंदी सिनेमा की इतनी मेहरबानी एकाएक आप पर कैसे?
सर, मेहंदी को चढ़ने में समय लगता है। मेरा रंग भी अब उभरना शुरू हुआ है और इसमें मेरे माता पिता का आशीर्वाद हमेशा साथ रहा है। ‘पुष्पा द राइज’ के गाने ‘श्रीवल्ली’ ने मेरी ये नई पहचान बनाई है और इसके लिए मैं इस फिल्म के हीरो अल्लू अर्जुन, जिन पर ये गाना फिल्माया गया को भी पूरा श्रेय देता हूं जिनकी खास अदा ने इसे दुनिया भर में मशहूर कर दिया। मैं शुरू में दक्षिण के अपने हिट गानों को हिंदी में बदलता रहा लेकिन फिर ‘श्रीवल्ली’ ने मुझे भी और हिंदी सिनेमा को भी ये समझाया कि हिंदी श्रोताओं को दरअसल मधुर और मौलिक संगीत की तलाश ज्यादा है।
सर, मेहंदी को चढ़ने में समय लगता है। मेरा रंग भी अब उभरना शुरू हुआ है और इसमें मेरे माता पिता का आशीर्वाद हमेशा साथ रहा है। ‘पुष्पा द राइज’ के गाने ‘श्रीवल्ली’ ने मेरी ये नई पहचान बनाई है और इसके लिए मैं इस फिल्म के हीरो अल्लू अर्जुन, जिन पर ये गाना फिल्माया गया को भी पूरा श्रेय देता हूं जिनकी खास अदा ने इसे दुनिया भर में मशहूर कर दिया। मैं शुरू में दक्षिण के अपने हिट गानों को हिंदी में बदलता रहा लेकिन फिर ‘श्रीवल्ली’ ने मुझे भी और हिंदी सिनेमा को भी ये समझाया कि हिंदी श्रोताओं को दरअसल मधुर और मौलिक संगीत की तलाश ज्यादा है।
और, निर्देशक रोहित शेट्टी ने आपको पहला बड़ा मौका दिया रणवीर सिंह की फिल्म ‘सर्कस’ में?
ये पहली बार हुआ कि जब किसी ने मुझे मेरे ही हिट डांस नंबर को हिंदी में बनाने को नहीं कहा। रोहित शेट्टी सर की संगीत की समझ लाजवाब है। उन्होंने मुझे फिल्म ‘सर्कस’ का संगीत बनाने के लिए पूरी कलात्मक और रचनात्मक छूट दी और इसका नतीजा आपको अगले महीने देखने और सुनने को मिलेगा। क्या होता है कि किसी कलाकार की जो पहचान बन जाती है और जिस काम के लिए वह मशहूर हो जाता है, उस छवि को तोड़ना ही उस कलाकार की सबसे बड़ी चुनौती होती है। ‘श्रीवल्ली’ में मैंने वही किया। अब लोगों को समझ आ रहा है कि डीएसपी के मेलोडी वाले गाने डांस नंबर से भी बड़े हिट हो रहे हैं।
ये पहली बार हुआ कि जब किसी ने मुझे मेरे ही हिट डांस नंबर को हिंदी में बनाने को नहीं कहा। रोहित शेट्टी सर की संगीत की समझ लाजवाब है। उन्होंने मुझे फिल्म ‘सर्कस’ का संगीत बनाने के लिए पूरी कलात्मक और रचनात्मक छूट दी और इसका नतीजा आपको अगले महीने देखने और सुनने को मिलेगा। क्या होता है कि किसी कलाकार की जो पहचान बन जाती है और जिस काम के लिए वह मशहूर हो जाता है, उस छवि को तोड़ना ही उस कलाकार की सबसे बड़ी चुनौती होती है। ‘श्रीवल्ली’ में मैंने वही किया। अब लोगों को समझ आ रहा है कि डीएसपी के मेलोडी वाले गाने डांस नंबर से भी बड़े हिट हो रहे हैं।
‘सर्कस’ में आपके काम की तारीफ फिल्म की रिलीज से पहले ही काफी हो रही है, क्या यही वजह है जिसने फिल्म ‘दृश्यम् 2’ में आपको मौका दिलाया?
जैसे जैसे भारतीय सिनेमा विकसित हो रहा है, इसका विस्तार पूरी दुनिया में एक पहचान के रूप में हो रहा है। इसी तरह सिनेमा के चारों तरफ बनी भाषाई सरहदें भी टूट चुकी हैं। अब अच्छा गाना अपनी धुन की वजह से लोगों को आकर्षित करता है। धुन के हिसाब से बोल भी सही बैठ गए तो सोने पर सुहागा। अजय देवगन सर की फिल्म ‘दृश्यम् 2’ के निर्देशक अभिषेक पाठक ने मुझे ये मौका दिया है और हो सकता है उनका मुझ पर भरोसा फिल्म के हीरो अजय देवगन या उनके करीबी दोस्त रोहित शेट्टी से बातचीत के बाद बना हो। मुझे बस हर अच्छे मौके की तलाश है। मेरा मानना यही रहा है मेहनत से ही मन का काम होता है और मौका मिलने के तो बाद अपना सौ फीसदी दिखाने से चूकना ही नहीं है।
जैसे जैसे भारतीय सिनेमा विकसित हो रहा है, इसका विस्तार पूरी दुनिया में एक पहचान के रूप में हो रहा है। इसी तरह सिनेमा के चारों तरफ बनी भाषाई सरहदें भी टूट चुकी हैं। अब अच्छा गाना अपनी धुन की वजह से लोगों को आकर्षित करता है। धुन के हिसाब से बोल भी सही बैठ गए तो सोने पर सुहागा। अजय देवगन सर की फिल्म ‘दृश्यम् 2’ के निर्देशक अभिषेक पाठक ने मुझे ये मौका दिया है और हो सकता है उनका मुझ पर भरोसा फिल्म के हीरो अजय देवगन या उनके करीबी दोस्त रोहित शेट्टी से बातचीत के बाद बना हो। मुझे बस हर अच्छे मौके की तलाश है। मेरा मानना यही रहा है मेहनत से ही मन का काम होता है और मौका मिलने के तो बाद अपना सौ फीसदी दिखाने से चूकना ही नहीं है।
आपके संगीत की खास बात है अपनी फिल्मों के बैकग्राउंड म्यूजिक से अगली फिल्मों के गानों की धुन निकाल लेना? ये काम संगीतकार शंकर जयकिशन ने खूब किया है…
बहुत बारीक बात पकड़ी है आपने। आपने बिल्कुल सही कहा है। मेरे लिए किसी फिल्म का पार्श्वसंगीत कहानी का उतना ही अहम हिस्सा है जितना कि इसके गाने। मैं अपनी फिल्मों के गाने फिल्म के निर्देशक के साथ बैठकर ही बनाता हूं और वह भी पूरी कहानी का प्रवाह समझने के बाद। पार्श्व संगीत में बजी कुछ धुनें इतनी प्रभावी बन जाती हैं कि दर्शकों की उन पर प्रतिक्रिया देखकर आनंद आता है और जाहिर है कि ऐसा जब होता है तो बतौर संगीतकार मुझे उस धुन पर गाना बनाना ही है।
बहुत बारीक बात पकड़ी है आपने। आपने बिल्कुल सही कहा है। मेरे लिए किसी फिल्म का पार्श्वसंगीत कहानी का उतना ही अहम हिस्सा है जितना कि इसके गाने। मैं अपनी फिल्मों के गाने फिल्म के निर्देशक के साथ बैठकर ही बनाता हूं और वह भी पूरी कहानी का प्रवाह समझने के बाद। पार्श्व संगीत में बजी कुछ धुनें इतनी प्रभावी बन जाती हैं कि दर्शकों की उन पर प्रतिक्रिया देखकर आनंद आता है और जाहिर है कि ऐसा जब होता है तो बतौर संगीतकार मुझे उस धुन पर गाना बनाना ही है।
और, इन दिनों आपका जोर डांस नंबर से ज्यादा ऐसी धुनें बनाने पर दिख रहा है, जिन्हें आम दर्शक भी गुनगुना सके, ये बदलाव ‘श्रीवल्ली’ से आया?
नहीं, ऐसा तो नहीं है, मेरे गानों की मेलोडी साउथ में तो काफी पहले से लोग पसंद करते रहे हैं, हां फिल्म ‘पुष्पा द राइज’ के जिस गाने की आप बात कर रहे हैं, उसने हिंदी सिनेमा के दर्शकों और हिंदी संगीत के सुधी श्रोताओं को मेरे बारे में और जानने के लिए उत्साहित किया। मेरा अपना मानना है कि हिंदी सिनेमा का वही संगीत कालजयी रहा है जिसमें संगीत का रस माधुर्य जिसे हम अंग्रेजी में मेलोडी कहते, वह रहा है। मेलोडियस गाने यानी कि मधुर संगीत ही जीवन का उत्साह है, जीवन का रस है और जीवन का रंग है। ‘तेरी झलक अशर्फी’ मेलोडियस म्यूजिक का वह नया सिगनल है, जिसे पकड़कर मुझे हिंदी सिनेमा के दर्शकों और हिंदी सिने संगीत के श्रोताओं से संवाद करना है।
नहीं, ऐसा तो नहीं है, मेरे गानों की मेलोडी साउथ में तो काफी पहले से लोग पसंद करते रहे हैं, हां फिल्म ‘पुष्पा द राइज’ के जिस गाने की आप बात कर रहे हैं, उसने हिंदी सिनेमा के दर्शकों और हिंदी संगीत के सुधी श्रोताओं को मेरे बारे में और जानने के लिए उत्साहित किया। मेरा अपना मानना है कि हिंदी सिनेमा का वही संगीत कालजयी रहा है जिसमें संगीत का रस माधुर्य जिसे हम अंग्रेजी में मेलोडी कहते, वह रहा है। मेलोडियस गाने यानी कि मधुर संगीत ही जीवन का उत्साह है, जीवन का रस है और जीवन का रंग है। ‘तेरी झलक अशर्फी’ मेलोडियस म्यूजिक का वह नया सिगनल है, जिसे पकड़कर मुझे हिंदी सिनेमा के दर्शकों और हिंदी सिने संगीत के श्रोताओं से संवाद करना है।