भारतीय सेना (Indian Army) नेजम्मू और कश्मीर के राजौरी ज़िले से (Rajouri, Jammu and Kashmir) एक आतंकवादी को जीवित गिरफ़्तार किया है. ‘फिदायीन हमलावर’ (Fidayeen Attacker) का कहना है कि उसे पाकिस्तान के कर्नल युनूस चौधरी (Pakistan Colonel Yunus Chaudhary) ने भारत में हमला करने के लिए 30 हज़ार दिए थे.
भारत में घुसने की फिराक में था, सेना ने पकड़ लिया
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 21 अगस्त को नौशेरा इलाके के झांगर सेक्टर में तैनात भारतीय सिपाहियों ने लाइन ऑफ़ कन्ट्रोल (Line of Control) के आस-पास तीन आतंकी देखे. इनमें से एक आंतकी लाइन ऑफ़ कंट्रोल के पास स्थित भारतीय पोस्ट के पास आ गया और तार काटने की कोशिश करने लगा. जब सिपाहियों ने उसे आवाज़ दी तो वो भागने की कोशिश करने लगा. सेना की 80 इन्फ़ैंट्री ब्रिगेड कमांडर, ब्रिगेडियर कपिल राणा ने जानकारी दी.
पाकिस्तान के आतंकी को सेना ने पकड़ा
आर्मी पीआरओ लेफ़्टिनेंट कर्नल, देवेंद्र यादव ने बताया, ‘आतंकवादी ने भागने की कोशिश की लेकिन उसे गोलीबारी के बाद पकड़ा गया. आस-पास की झाड़ियों में दो आतंकी छिपे थे जो घने जंगल का फ़ायदा उठाकर भागने में सफ़ल रहे.’ लेफ़्टिनेंट कर्नल यादव ने आगे बताया भारत में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे पाकिस्तानी आतंकी को ज़िन्दा पकड़ा गया और उसका इलाज किया गया.
आतंकी का खुलासा, पाक कर्नल ने दिए पैसे
Dainik Bhaskar
सेना से मिली जानकारी के मुताबिक आतंकवादी ने गुनाह कुबूल कर लिया है. उसने बताया कि वो पाक अधिकृत कश्मीर के कोटली ज़िले के सब्ज़कोट गांव का रहने वाला है. आतंकवादी ने अपना नाम तबारक हुसैन (Tabarak Hussain) बताया और ये भी कहा कि पाकिस्तान के कर्नल युनूस चौधरी ने उसे भारतीय पोस्ट पर हमला करने के लिए 30,000 पाकिस्तानी रुपये दिए थे. ब्रिगेडियर कपिल राणा ने ये बताया, ‘हुसैन ने ये भी कबूल किया है कि उसने अन्य आतंकियों के साथ मिलकर भारत के फ़ोरवर्ड पोस्ट्स की 2-3 रेकीज़ की थी और सही समय पर हमला करने की ताक में थे. कर्नल चौधरी ने 21 अगस्त को टारगेटेड भारतीय पोस्ट पर हमला करने को कहा था.’
पाकिस्तान के आतंकी कैम्प में हुई थी ट्रेनिंग
अस्पताल में मीडिया से बात-चीत में हुसैन ने बताया कि उसे बाकी आतंकवादियों ने धोखा दिया गया और भारतीय सेना ने पकड़ लिया. हुसैन ने बताया, ‘मेरी 6 महीने की ट्रेनिंग हुई और मैं पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तयैबा और जैश-ए-मोहम्मद के कई कैम्प्स में गया.’ ब्रिगेडयर राणा ने बताया कि आतंकी का काफ़ी खून बह गया था, उसे खून देकर बचाया गया और अपने हाथों से खाना खिलाया गया.
अधिकारियों ने बताया कि गिरफ़्तारी के वक्त हुसैन चिल्ला रहा था, ‘मैं मरने के लिए आया था, मुझे धोखा दे दिया. भाईजान मुझे यहां से निकालो.’
पहले भी गिरफ़्तार हो चुका है हुसैन
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Deccan Herald की रिपोर्ट के अनुसार, हुसैन और उसके छोटे भाई हारून अली को 25 अप्रैल, 2016 को भी गिरफ़्तातर किया गया था और 26 महीने की जेल हुई थी. नवंबर 2017 में उसे मानवता के आधार पर छोड़ दिया गया. दिसंबर 2019 में हुसैन के एक दूसरे भाई को भी भारतीय सेना ने पकड़ा था.