Thaely: 23 साल के भारतीय युवा का स्टार्टअप, प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों से बनाए जाते हैं जूते

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थैली की फ़ैक्ट्री में अभी 170 लोग काम करते हैं और तीन अलग-अलग कंपनियों के लिए जूते बनाते हैं.थैली हर हफ़्ते 15000 जोड़ी जूते बना रही है.थैली के शूबॉक्स में बीज लगे होते हैं, जिसे मिट्टी में रोपकर पेड़ उगाया जा सकता है.

प्लास्टिक की थैलियों, प्लास्टिक की बोतलों से पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंच रहा है ये तो पृथ्वी का बच्चा-बच्चा जानता है. जानकारी के बावजूद वयस्क लोग एक दूध की थैली के लिए भी पॉलिथिन की मांग करने में नहीं हिचकिचाते. ऐसे में नई पीढ़ी के कुछ सजग लोग पर्यावरण संरक्षण की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ले रहे हैं.

मिलिए 23 वर्षीय आशय भावे से

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पर्यावरण को प्लास्टिक मुक्त करवाने का बीड़ा दो और कंधों ने उठा लिया है. 23 साल के आशय भावे (Ashay Bhave) ने जुलाई 2021 में अपनी कंपनी थैली (Thaely) शुरु की. थैली कंपनी का दावा है कि वो 10 प्लास्टिक की थैलियों और 12 प्लास्टिक बोतलों से जूतों की एक जोड़ी बना लेती है.

Business Insider से बात-चीत में आशय ने बताया कि उनका स्टार्टअप दुनियाभर में जूते सप्लाई करता है और पर्यावरण के साथ ही उन्हें भी मुनाफ़ा हो रहा है.

कैसे बनते हैं प्लास्टिक से जूते

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वेस्ट रिमूवल कंपनी (Waste Removal Company) Triotap Technologies से प्लास्टिक की थैलियां, बैग्स मंगाया जाता है. प्लास्टिक वेस्ट को गरम पानी में धोया और फिर सुखाया जाता है. हीटींग तकनकी (Heating Technique) से थैली “ThaelyTex” बनाती है. ये एक ऐसा मटैरियल है जो प्लास्टिक बैग्स से बना है और इसमें केमिकल्स का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इसके बाद प्लास्टिक वेस्ट से जूते बनाए जाते हैं. यहीं नहीं जूतों पर जो पैटर्न दिखते हैं, जूतों के लेस भी रिसाइकल्ड प्लास्टिक बोतलों ही हैं.

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प्लास्टिक वेस्ट को साधारण से दिखने वाले स्नीकर्स या जूतों में बदला जाता है. थैली कंपनी का दावा है कि आम जन प्लास्टिक से बने जूतों और साधारण जूतों में फ़र्क नहीं कर पाएंगे.

थैली के शूबॉक्स में बीज लगे होते हैं, जिसे मिट्टी में रोपकर पेड़ उगाया जा सकता है.

 

थैली की फ़ैक्ट्री में अभी 170 लोग काम करते हैं और तीन अलग-अलग कंपनियों के लिए जूते बनाते हैं. थैली हर हफ़्ते 15000 जोड़ी जूते बना रही है. इस स्टार्टअप का एक ही लक्ष्य है जो भी प्लास्टिक का टुकड़ा दिखे उसे रिसाइकल करना.

आनंद महिन्द्रा को आशय का स्टार्टअप आईडिया पसंद आ गया और उन्होंने फंडिंग देने की भी बात कही.

 

एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में स्नीकर इंडस्ट्री की कीमत 70 बिलियन डॉलर से भी ज़्यादा है. Nike, Reebok, Adidas के सामने जूतों की नई कंपनी खोलना और मार्केट में टिकना बेहद चैलेंजिंग जॉब है. इस रिस्क के बावजूद थैली दुनिया से प्लास्टिक को कम करने में लगी है.