दिवाली पर प्रतिवर्ष ठाकुर राधाबल्लभ मंदिर में चौपड़ लीला का आयोजन किया जाता है। जिसके अंतर्गत ठाकुरजी के समक्ष चौपड़ बिछाई जाती है और पासा फेंककर मंदिर में प्रतीकात्मक रूप से चौपड़ खेलते हैं।
मथुरा के वृंदावन में दिवाली पर ठाकुर राधावल्लभ मंदिर में ठाकुरजी ने चौपड़ खेली। इस अद्भुत लीला के दर्शन कर भक्त आनंदित हो उठे। मंदिर सेवायतों द्वारा इस लीला का आयोजन किया गया।
भक्तों का उमड़ा सैलाब
मंदिर में दिवाली पर चौपड़ लीला का दिव्य आयोजन मंदिर सेवायतों द्वारा किया गया। चौपड़ लीला अंतर्गत ठा. राधावल्लभ लाल के समक्ष मंदिर के सेवायत गोस्वामियों ने प्रतीकात्मक रूप से चौपड़ खेली। चौपड़ लीला के दर्शन के लिए दिवाली पर मंदिर में सोमवार शाम से ही भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। जैसे ही शाम को मंदिर में चौपड़ लीला का आयोजन किया गया। संपूर्ण मंदिर प्रांगण ठाकुर राधा वल्लभ लाल और श्रीजी के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
चौपड़ खेलने की है प्राचीन परंपरा
मंदिर सेवायत विशाल्लाल गोस्वामी ने बताया कि दीपावली के दिन चौपड़ खेलने की प्राचीन परंपरा हमारी भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म में रही है। उन्होंने बताया कि दिवाली पर प्रतिवर्ष ठाकुर राधाबल्लभ मंदिर में चौपड़ लीला का आयोजन किया जाता है। जिसके अंतर्गत ठाकुरजी के समक्ष चौपड़ बिछाई जाती है और पासा फेंककर मंदिर में प्रतीकात्मक रूप से चौपड़ खेलते हैं।
सेवायत विशाल्लाल गोस्वामी ने बताया कि जो भक्त इस लीला के दर्शन करता है। उसके घर में सदैव सुख समृद्धि का वास रहता है और वह व्यक्ति सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है।