वो फैसला जब टूट गई शरद-नीतीश की हिट जोड़ी, बनाई थी नई पार्टी… अंतिम पड़ाव पर मिला लालू का साथ

Sharad Yadav Death News : दिग्गज नेता और जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की गुरुवार देर रात गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वो 75 वर्ष के थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटी और एक बेटा हैं। उनके सियासी करियर पर एक नजर।

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वो फैसला जब टूट गई शरद-नीतीश की हिट जोड़ी, बनाई थी नई पार्टी… अंतिम पड़ाव पर मिला लालू का साथ

पटना : मध्य प्रदेश के जबलपुर में जन्म और बिहार को अपनी कर्मस्थली बनाने वाले शरद यादव अब हमारे बीच नहीं रहे। गुरुवार देर रात 75 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। शरद यादव ऐसे नेता थे जो तीन राज्यों से सांसद बने। वो बिहार के मधेपुरा सीट से चार बार सांसद चुने गए। दिग्गज समाजवादी नेता शरद यादव एक समय जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करते थे। राजनीति में नीतीश कुमार और शरद की जोड़ी लंबे वक्त साथ थी। हालांकि, एक समय ऐसा आया जब उन्होंने बिहार के सीएम नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। यही नहीं हालात ऐसे हो गए कि शरद ने नीतीश का साथ छोड़ा और अपनी नई पार्टी ‘लोकतांत्रिक जनता दल’ बना ली। जानिए राजनीति में शरद यादव और नीतीश कुमार का रिश्ता कैसा रहा?

लालू के मुकाबले नीतीश को लाने में शरद यादव का रहा बिग रोल

70 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल कर सुर्खियों में आए शरद यादव लोकदल और जनता पार्टी से टूटकर बनी पार्टियों में रहे। उन्होंने लंबे वक्त जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली। नीतीश कुमार की सियासी कामयाबी में शरद यादव के रोल को नकारा नहीं जा सकता। राजनीति में इनकी जोड़ी बेहद हिट रही। बिहार में लालू के मुकाबले नीतीश कुमार को खड़ा करने में शरद यादव का अहम रोल रहा। उन्होंने 1999 में बिहार के मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से लालू यादव को शिकस्त दी थी।

वो फैसला जब नीतीश से अलग हुए शरद यादव

शरद यादव के कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2013 तक वो बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के संयोजक रहे। हालांकि, एक समय ऐसा आया जब नीतीश के फैसलों के खिलाफ उन्होंने मोर्चा खोल दिया। हुआ ये कि साल 2013 में नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ संबंध तोड़ने का फैसला लिया। उस समय शरद यादव ने जेडीयू नेता के इस फैसले के प्रति आशंकित थे। इसी बीच 2015 में शरद यादव और नीतीश कुमार ने अहम फैसला लिया और लालू यादव संग गठबंधन में आ गए। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी।

नीतीश के NDA में जाने पर उठाए थे सवाल, बगावत में गई राज्यसभा सदस्यता

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हालांकि, 2013 में एनडीए से अलग होने के चार साल बाद 2017 में नीतीश कुमार फिर बीजेपी के साथ जाने को तैयार हो गए। सीएम नीतीश के इसी फैसले के कारण शरद यादव ने विरोध का झंडा बुलंद कर दिया। बस फिर क्या था उन्हें जेडीयू से अलग होना पड़ा। यही नहीं इसका खामियाजा भी उन्हें उठाना पड़ा। शरद यादव को राज्यसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

शरद यादव को आखिरी दौर में मिला लालू का साथ

शरद यादव ने जेडीयू से अलग होने के बाद नई पार्टी ‘लोकतांत्रिक जनता दल’ बनाई थी। हालांकि, उन्हें वैसी सफलता नहीं मिल सकी। पिछले साल ही उन्होंने अपनी पार्टी का विलय आरजेडी में कर दिया था। मध्यप्रदेश के मूल निवासी रहे शरद यादव ने बीटेक की पढ़ाई के दौरान ही छात्र राजनीति में कदम रखा था। वो तीन राज्यों से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार से लोकसभा सांसद चुने गए। मधेपुरा से वो चार बार सांसद रहे। हालांकि, 2019 के बाद से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था। जिसकी वजह से वो राजनीति में उतने सक्रिय नहीं रहे। आखिरी दौर में उन्हें लालू यादव का साथ मिला। शरद यादव के निधन से लालू यादव बेहद दुखी हैं। उन्होंने सिंगापुर से वीडियो शेयर कर दिग्गज समाजवादी नेता को अपनी श्रद्धांजलि दी है।