जनपद में निजी बसों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है। हालात यह हैं कि अधिकारी AC कमरों में बैठकर मजे ले रहे हैं और दूसरी तरफ निजी बस संचालक नियमों को तार-तार कर बसों के दरवाजों को खुला छोड़ सफर कर दूसरों की जिंदगी को दांव पर लगा रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला उपमंडल घुमारवीं के तहत सामने आया , जहां एक निजी बस का दरवाजा काफी दूर तक खुला रहा लेकिन इसे बंद करने के लिए बस चालक द्वारा भी गंभीरता नहीं दिखाई गई। यदि ऐसे में कोई राहगीर या बस यात्री घायल हो जाता तो उसका जिम्मेदार कौन होगा, इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।
हालांकि कुछ समय पहले भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था। उस समय आरटीओ बिलासपुर में वाहन चालकों के खिलाफ शिकंजा कसने की बात कही गई थी, लेकिन शायद वह बयान भी केवल सुर्खियों में ही दफन होकर रह गया। यदि इस समस्या का जल्द से जल्द हल नहीं किया गया तो कोई बड़ा हादसा सामने आ सकता है।