प्रदेश में फलोत्पादन के रकबे में एक दशक के दौरान 23 हजार हेक्टेयर का इजाफा हुआ है। प्रदेश की आर्थिकी सुदृढ़ करने में फलोत्पादन अहम योगदान दे रहा है, उगाए जाने वाले क्षेत्र और उत्पादन की दृष्टि से सेब सबसे आगे है। फलों के लिए प्रदेश के अच्छे मौसम, नई तकनीकों और फलोत्पादन की ओर आकर्षित होते किसानों के चलते प्रदेश में फलों को उगाने के लिए क्षेत्र का विस्तार लगातार होता रहा और अब यह 234779 हेक्टेयर तक जा पहुंचा है। वर्ष 2020-21 में दिसंबर 2021 तक प्रदेश में कुल 6.97 लाख टन फलों की पैदावार हुई है।
फलोत्पादन की दृष्टि से 2010-11 का साल स्वर्णिम माना जा सकता है जब एक नए रिकार्ड के साथ फलोत्पादन का आंकड़ा दस लाख मीट्रिक टन के पार जा पहुंचा। 2010-11 में प्रदेश में 211295 हेक्टेयर क्षेत्र में फल लगाए गए थे और सेब की 892112 मीट्रिक टन बंपर फसल के साथ फलों का कुल उत्पादन 1027821 मीट्रिक टन रहा। आंकड़े बताते हैं कि 2007-08 में प्रदेश में 200502 मीट्रिक टन रकबा फलोत्पान के अधीन था। इस क्षेत्र में एक दौर ऐसा भी आया जब उत्पादन का आंकड़ा चार लाख मीट्रिक टन को भी नहीं छू पाया। 2006-07 प्रदेश में 369103, 2009-10 में 382237 और 2011-12 में 372823 मीट्रिक टन फल ही प्रदेश में तैयार हो पाए। कभी उंचे क्षेत्रों में ही पैदा होने वाले सेब की नई प्रजातियों के विकास से मैदानी व अपेक्षाकृत गर्म इलाकों में भी सेब उगाया जाने लगा है। (एचडीएम)
सेब का अहम रोल
प्रदेश में फलोत्पादन मे सेब का प्रमुख स्थान है, जिसके अंतर्गत फलों के अधीन कुल क्षेत्र का लगभग 49 प्रतिशत है तथा उत्पादन कुल फल उत्पादन का लगभग 85 प्रतिशत है। वर्ष 1950-51 में सेबों के अंतर्गत 400 हेक्टयेर क्षेत्र था जो कि 1960-61 मे बढ़कर 3,025 हेक्टेयर तथा वर्ष 2020-21 मे 1,14,646 हेक्टेयर हो गया। 2021-22 मे 1,549 हेक्टयेर अतिरिक्त क्षेत्र को फल पौधों के अंतर्गत लाने के लक्ष्य की तुलना मे दिसंबर, 2021 तक 1932.49 हेक्टयेर क्षेत्र को पौधरोपण के अंतर्गत लाया गया तथा फलों के 5.35 लाख पौधे वितरित किए गए।
सूखे फल-मेवों के क्षेत्र का विस्तार
सेब के अतिरिक्त समशीतोषण फलों के अंतर्गत वर्ष 1960-61 में 900 हेक्टेयर से बढ़कर 2020-201 में 27,870 हेक्टेयर हो गया है। सूखे फल तथा मेवों का क्षेत्र 1960-61 के 231 हेक्टेयर से बढ़कर 2020-21 में 10,029 हेक्टेयर तथा नींबू प्रजाति ,व उपोषण कटिबंधीय फलों का क्षेत्र 1960-61 के 1,225 हेक्टेयर तथा 623 हेक्टेयर से बढ़कर 2020-21 में क्रमश: 25,654 हेक्टेयर तथा 56,580 हेक्टेयर हो गया है।