बोन्था तिरुपति रेड्डी की कहानी इस बात का प्रमाण है कि संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करने से अनगिनत फायदे हो सकते हैं. आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के पोसुपल्ली गांव के 27 वर्षीय युवा ने बिना किसी कोचिंग क्लास गए रेलवे में दो नौकरियां हासिल की हैं.
यूट्यूब की मदद से पाईं दो नौकरियां
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बोन्था तिरुपति रेड्डी एक गरीब परिवार से संबंध रखते हैं. उनके घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वो कोचिंग लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें. ऐसे में उन्होंने अपने पास मौजूस संसाधनों का सही इस्तेमाल करना सीखा. उन्हें हर हाल में सफल होना था, इसके लिए उन्होंने YouTube को अपना माध्यम बनाया और इसी की मदद से रेलवे भर्ती बोर्ड परीक्षा की तैयारी करने लगे. उन्होंने YouTube पर विभिन्न चैनलों के माध्यम से सामान्य ज्ञान (जीके), रीजनिंग और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवश्यक अन्य विषयों पर वीडियो देखे.
बोन्था तिरुपति रेड्डी गणित, भौतिकी, कंप्यूटर विज्ञान के साथ विज्ञान में स्नातक कर चुके हैं. ग्रेजुएट होने के बाद तिरुपति ने आरआरबी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. उन्होंने दक्षिण पश्चिम रेलवे (SWR) -बेंगलुरु डिवीजन में ग्रेड -4 सहायक और एक वाणिज्यिक सह टिकट क्लर्क (CCTC) के रूप में दो नौकरियां हासिल कीं.
पढ़ाई के साथ की पिता की मदद
अपनी इस उपलब्धि पर उन्होंने कहा कि, “मैं इस महीने के अंत तक नियुक्ति पत्र मिलने की उम्मीद कर रहा हूं.” इकलौता बेटा होने के नाते, तिरुपति को यह भी सुनिश्चित करना था कि वह अपने पिता बी चिन्ना कोंडा रेड्डी की खेती में नियमित रूप से मदद करें. उनकी दो बहनें हैं, जिनकी कुछ साल पहले शादी हुई है.
मंदिर में बैठ कर करते थे पढ़ाई
बोन्था ने बताया कि “मैं कोचिंग नहीं जाना चाहता था क्योंकि मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. साथ ही, मैं नहीं चाहता था कि मेरे पिता खेती के सारे काम अकेले करें. इसलिए, मैंने अपने गांव में अपने परिवार के साथ रहते हुए परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया.” बोन्था बचपन से एक उज्ज्वल छात्र रहे हैं. उन्होंने एक पेशेवर की तरह कृषि कार्य और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाए रखा. घर में उचित बुनियादी ढांचे की कमी के कारण, वह अपनी किताबें अपने खेत के पास स्थित शिवालय में रखते हैं. उन्होंने कहा, “मंदिर मेरा स्टडी कॉर्नर भी रहा है क्योंकि वहां मोबाइल नेटवर्क अच्छा है.”
तिरुपति ने कहा कि, “मैंने पहली बार 2019 में आरआरबी परीक्षा के लिए आवेदन किया था. अपने दूसरे प्रयास में, मुझे एसडब्ल्यूआर-बैंगलोर में ग्रेड-4 सहायक के रूप में नौकरी मिली.”
रिपोर्ट के अनुसार तिरुपति 10-12 घंटे पढ़ाई करते थे, शाम 7 से 11 बजे तक वह यूट्यूब पर क्लास लेते और अपने नोट्स तैयार करते थे. नौकरी पाने के बाद उन्होंने कहा कि वह उन युवाओं के लिए कुछ अच्छा करने का प्रयास करेंगे जो उन्हीं की तरह ग्रामीण और गरीब परिवार से आते हैं.