बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन की बस में यात्रा के दौरान बस कंडक्टर ने यात्री को एक रुपये लौटाने से मना कर दिया था. इसे नाराज होकर बंदा कोर्ट चला गया. अब इस मामले में अदालत ने पीड़ित को मुआवजे के रूप में 3000 रुपए देने का आदेश दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2019 में रमेश नाइक नाम का एक शख्स बीएमटीसी की बस में शांतिनगर से मैजेस्टिक बस डिपो गया. इस दौरान कंडक्टर ने 29 रुपए का टिकट जारी किया.
बेंगलुरु: बस कंडक्टर ने नहीं लौटाया था 1 रुपया
शिकायतकर्ता ने 30 रुपये का भुगतान भी किया, लेकिन उसे एक रुपया लौटाया नहीं गया. इसको लेकर नाइक ने कंडक्टर के बारे में बीएमटीसी के उच्च अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन उन्होंने नाइक की मदद करने के बजाय उसका मजाक उड़ाया और उसे भगा दिया. इससे आहत होकर नाइक ने स्थानीय उपभोक्ता अदालत में परिवाद दायर कर 15 हजार रुपए मुआवजा मांगा. अब अदालत ने बीएमटीसी को आदेश दिया है कि पीड़ित को 2000 रुपए का मुआवजा दे.
बंदा न्याय के लिए उपभोक्ता अदालत चला गया
उपभोक्ता अदालत के न्यायाधीशों ने 31 जनवरी, 2023 को अपने फैसले में कहा कि शिकायत निस्संदेह मामूली प्रकृति की है, लेकिन बीएमटीसी बस कंडक्टर की ‘बेपरवाह’ और ‘गैर-जिम्मेदार’ सेवा अस्वीकार्य है. यह उपभोक्ता का अधिकार है कि वह अपना पैसा वसूल करे, भले ही वह 1 रुपया ही क्यों न हो और इस प्रकार, वह ग्राहक संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत कमियों के लिए BMTC से उचित मुआवजा प्राप्त करने का हकदार है.
BMTC को मुआवजे के तौर पर देने होंगे 3000 रुपए
कोर्ट के आदेश के बाद नाईक को 45 दिनों के भीतर सभी पैसे का भुगतान किया जाना है.