चयन सूची में नामित उम्मीदवार नियुक्ति का अधिकार नहीं रखता, हाईकोर्ट ने दी व्यवस्था

मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि चयन सूची में नामित उम्मीदवार नियुक्ति का अधिकार नहीं रखता है। उसके पास केवल नियुक्ति के लिए विचार किए जाने का अधिकार है।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भर्ती मामले में एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि चयन सूची में नामित उम्मीदवार नियुक्ति का अधिकार नहीं रखता है। उसके पास केवल नियुक्ति के लिए विचार किए जाने का अधिकार है। नियोक्ता भी अपनी मर्जी से चयन सूची को दरकिनार नहीं कर सकता है।  अदालत ने कहा कि यदि नियुक्ति के लिए कई रिक्तियों को अधिसूचित किया जाता है और पर्याप्त सफल उम्मीदवारों की संख्या पाई जाती है तो नियुक्ति के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि नियोक्ता सभी रिक्तियों को भरने के लिए बाध्य नहीं है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि नियोक्ता के पास मनमाने ढंग से कार्य करने का लाइसेंस है। रिक्तियों को न भरे जाने का निर्णय उपयुक्त और वास्तविक रूप से लिया जाना चाहिए

याचिकाकर्ता बॉबी मेहता और अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने उन्हें नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं। स्टेशन कमांडर शिमला ने 12 जुलाई 2021 को तीन फायरमेन के पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया था। याचिकाकर्ताओं ने इन पदों के लिए आवेदन किया था। 29 अगस्त 2021 को इनकी शारीरिक परीक्षा ली गई। 27 उम्मीदवार इस परीक्षा को उत्तीर्ण नहीं कर पाए जबकि याचिकाकर्ताओं ने सफलतापूर्वक इसे पास किया। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने लिखित परीक्षा भी उत्तीर्ण की। मेरिट सूची में आने के बाद याचिकाकर्ताओं को 9 सितंबर 2021 को अस्थायी चयन का पत्र भी दिया गया। 27 जनवरी 2022 को स्टेशन कमांडर ने इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने का निर्णय लिया था। अदालत ने इस निर्णय को खारिज करते हुए यह निर्णय सुनाया।

वाहन दुर्घटना में घायल के मुआवजे पर हाईकोर्ट ने लगाई मुहर
वहीं, प्रदेश हाईकोर्ट ने वाहन दुर्घटना में घायल को दिए गए मुआवजे पर अपनी मुहर लगा दी है। न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने अपने निर्णय में कहा कि वाहन दुर्घटना प्राधिकरण सोलन ने मुआवजे की राशि को सही आंका है। अदालत ने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी की अपील को खारिज कर दिया है।  5 मई, 2009 को सोलन निवासी नीरज को वाहन दुर्घटना में टांग में चोट लगी थी। चिकित्सकों ने इसे  सात फीसदी विकलांगता आंका था। नीरज ने वाहन दुर्घटना प्राधिकरण सोलन के समक्ष मुआवजा राशि के लिए आवेदन किया था। निचली अदालत ने घायल को 1.64 लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश दिए थे। साथ ही सात फीसदी ब्याज आवेदन दायर करने की तिथि से दिए जाने के आदेश दिए थे। न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने अपील के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने मामले से जुड़ तमाम रिकॉर्ड का अवलोकन के बाद पाया कि निचली अदालत ने मुआवजे की राशि को सही आंका है।