सिरमौर में बेसहारा बच्चों के बनाए गए बालनिकेतन से चार बच्चे रात को भाग निकले और जंगलों से होते हुए सोलन के काबा गाँव में पहुंचे | सारी रात ठंड से बच्चे गाँव में ठिठुरते रहे | सुबह जब गाँववासी वहां से गुजरे तो उनकी नज़र रोते बिलखते बच्चों पर पड़ी | गाँववासी भी छोटे चार बच्चों को अपने गाँव में देख कर हैरान थे | उनसे जब गाँव में आने का कारण पुछा तो खुलासा हुआ कि यह बच्चे साथ लगते बालनिकेतन से भाग कर आए हैं क्योंकि उनसे वहां बालनिकेतन संचालक अमानवीय व्यवहार करते थे |
यह जानकर गाँव वासियों में भारी रोष देखा गया | उन्होंने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी | पुलिस भी सूचना मिलते ही गाँव में पहुंच गई और बच्चों से आवश्यक पूछताछ की गई बच्चों के परिजनों से भी सम्पर्क साधा गया | बाल निकेतन को भी इस बारे में सूचित किया गया | जानकारी मिली है कि बालनिकेतन द्वारा भी बच्चो की गुमशुदगी की रिपोर्ट सराहां पुलिस थाने में दर्ज करवाई गई है | बच्चों ने बालनिकेतन पर आरोप लगाया है कि उन्हें खाना ताज़ा नहीं दिया जाता था और उनसे जबरन काम भी करवाया जाता था | उन्हें टीवी ओर मोबाईल की सुविधा से भी वंचित रखा जाता है और उनसे मारपीट भी की जाती है |
वहीँ जब इस बारे में बालनिकेतन के संचालक आ एस नेगी से पुछा गया तो उन्होंने बताया कि उनके पास 22 बच्चे बालनिकेतन में है और उनमे से चार बच्चे शाम को भाग गए थे जिसकी रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करवा दी गई थी | उन्होंने बताया कि यह बच्चे करीबन चार माह से बालनिकेतन में है और उन्हें किसी भी तरह की असुविधा न हो इसका ख्याल रखा गया है | सभी बच्चों को बेहद प्यार से रखा जाता है | जिसकी समय समय पर तीन तरह से जांच भी जाती रही है |
उन्होंने कहा कि यह बच्चे किन कारणों से भागे यह उनके लिए भी चिंता का विषय है | उन्होंने बताया कि यह वह बच्चे है जो चाईल्ड वेलफेयर कमेटी द्वारा विभिन्न जगहों से असाधारण परिस्थितियों में रेस्क्यू किए गए थे | बच्चों को वास्तविक परेशानी क्या रही और क्यों वह बाल निकेतन से भागने पर मजबूर हुए इस को लेकर पुलिस जांच कर रही है | बच्चे क्योंकि असाधारण और स्वतंत्र परिस्थितियों से रेस्क्यू किए गए थे कयास लगाए जा रहे है कि वह शायद बालनिकेतन के माहौल में अपने को ढाल नहीं पाए |