Odisha Train Accident Update: कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन हादसे में सफर कर रहे एक पिता और उनकी आठ साल की बेटी की विंडो सीट पर बैठने की जिद ने जान बचा दी। दरअसल विंडो सीट के चक्कर में पिता ने अपनी रिजर्व सीट से तीन बोगी दूर दूसरी सीट खोजी। यह सब हादसे से कुछ समय पहले हुआ। इसके चलते उनकी जान बच गई।
दरअसल पिता-पुत्री की जोड़ी खड़गपुर से ट्रेन में सवार हुई और उन्हें कटक में उतरना था क्योंकि शनिवार को उनका एक डॉक्टर के साथ अपॉइंटमेंट था। हालांकि उनके पास थर्ड एसी कोच में यात्रा करने का टिकट था लेकिन बच्चे ने खिड़की के पास बैठने की जिद की। खड़गपुर में एक सरकारी कर्मचारी देब ने कहा कि हमारे पास विंडो सीट टिकट नहीं था। हमने टीसी से अनुरोध किया। इस पर उन्होंने सुझाव दिया कि यदि संभव हो तो वे अन्य यात्रियों के साथ अपनी सीटों की अदला-बदली करवा लें। इस पर हम दूसरे कोच में गए और दो लोगों से अनुरोध किया तो वे सहमत हो गए। देब ने कहा कि वे हमारे मूल कोच में आए थे, जबकि हम उनकी कोच में बैठे थे, जो कि हमारी सीट पर तीन बोगी दूर था।
हादसे में 288 लोगों की मौत
सीट की अदला-बदली के कुछ समय बाद ट्रेन में भयानक त्रासदी हुई। इसमें 288 लोग मारे गए। सौभाग्य से जिस कोच में पिता-पुत्री की जोड़ी यात्रा कर रही थी, उसे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ, जबकि अन्य कोच, जहां उनकी सीटें रिजर्व थीं। वो कई हिस्से में बंट गई और इसमें कई लोगों की मौत हो गई।
‘चमत्कार के लिए ऊपरवाले के आभारी’
देब ने कहा कि हम उन दो यात्रियों की स्थिति के बारे में नहीं जानते हैं, जो हमारे साथ अपनी सीट बदलने के लिए सहमत हुए। हम उनके सुरक्षित जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं। साथ ही हम इस चमत्कार के लिए ऊपरवाले के आभारी हैं। हमारे कोच में लगभग सभी यात्री सुरक्षित थे।
इस कारण आ रहे थे कटक
देब ने बताया कि मामूली रूप से घायल व्यक्ति और उसकी बेटी स्थानीय लोगों की मदद से शनिवार सुबह कटक पहुंचने में सफल रहे। बच्ची के बाएं हाथ में फोड़ा है और वह डॉक्टर से सलाह लेना चाहती है। बाल रोग विशेषज्ञ विक्रम सामल ने कहा कि जब मुझे पिता-पुत्री के चमत्कारिक ढंग से बचने के बारे में पता चला तो मेरे पास अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्द कम पड़ गए। टक्कर के बाद कोच के अंदर गिरने के बाद उन्हें मामूली चोटें आईं।