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कार सीट बेल्ट को दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण यातायात सुरक्षा आविष्कार बताया जाता है. कार से सफर करते हुए किसी भी तरह की दुर्घटना से बचने के सीट बेल्ट लगाना बेहद जरूरी माना जाता है. सीट बेल्ट न लगाना यातायात नियमों के खिलाफ माना जाता है. इसी सीट बेल्ट ने अनुमानित 20 लाख से ज्यादा जानें बचाई हैं. सीट बेल्ट का प्रयोग कई बार जिंदगी और मौत के बीच का छोटा सा फर्क बन जाता है.
बहुत सी सड़क दुर्घटनाओं में देखा गया है कि इसी सीट बेल्ट के कारण लोगों की जान बची है. रिपोर्ट्स के अनुसार अगर ड्राइवर और पैसेंजर अपनी सीट बेल्ट का बकल खोल दें तो गंभीर दुर्घटनाओं की संख्या दुगनी हो जाएगी. इतनी जानें बचाने के लिए दुनिया को Volvo और इंजीनियर नील्स बोहलिन का शुक्रगुजार होना चाहिए.
Forbes
नील्स बोहलिन ही वो शख्स हैं जिन्होंने ऐसी सीट बेल्ट का आविष्कार किया जो पूरी तरह से सुरक्षित थी. इसके बाद Volvo ही वो कंपनी थी जिसने सीट बेल्ट को कारों का अभिन्न अंग बनाया और इसे बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के कार के साथ ही बेचना शुरू किया.
तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्यों वॉल्वो ने उस सीट बेल्ट को अपनी गाड़ियों में लगा कर ग्राहकों को देना शुरू किया जिसके लिए पहले अतिरिक्त पैसे चुकाने पड़ते थे:
1800 में बनी पहली सीट बेल्ट
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वैसे तो आधुनिक सीट बेल्ट यानी 3 प्वाइंट सीट बेल्ट का आविष्कार स्वीडन के नील्स बोहलिन ने 1959 में कर दिया था, लेकिन बात अगर केवल सीट बेल्ट की करें तो इसकी पहली डिजाइन खोजने का श्रेय सर जॉर्ज कैली को गया. 1800 के आस-पास उन्होंने अपने ग्लाइडर के लिए सीट बेल्ट का आविष्कार किया. कारों के लिए पहला सीट बेल्ट अमेरिकी अविष्कारक एडवर्ड क्लैगहॉर्न ने डिजाइन की. जिसे 1885 में न्यूयॉर्क की टैक्सियों में इस्तेमाल किया जाने लगा.
समय के साथ आया बदलाव
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समय के साथ साथ सीट बेल्ट का डिजाइन और इसके उपयोग दोनों में बहुत बदलाव आया. डॉ शेलडन के डिजाइन के बाद सीट बेल्टों की लोकप्रियता बढ़ी और 1950 के आस-पास लगभग सभी रेसिंग कारों में इसका इस्तेमाल होने लगा. कई जगहों पर रेसिंग कारों के लिए सीट बेल्ट को अनिवार्य बना दिया गया. सीट बेल्ट में बदलाव तो कई हुए लेकिन पहले ये किसी भी कार का हिस्सा नहीं हुआ करती थी. आपको अपनी कारों के लिए अलग से सीट बेल्ट खरीदनी पड़ती थी. अभी तक बाजार में ऐसी ही सीट बेल्ट का चलन था जो सिर्फ कमर के आसपास बंदही होती थी.
Saab
वो स्वीडन की कार कंपनी साब थी जिसने पहली बार अपनी कारों के लिए सीट बेल्ट को स्टैंडर्ड फीचर बनाया. इसे नील्स बोहलिन ने ही तैयार किया. ये सीट बेल्ट 3-प्वाइंट सीट बेल्ट कहलाई. हालांकि नील्स से पहले 1935 में अमेरिका के रोजर डब्ल्यू ग्रिसवोल्ड और ह्यूग डीहैवेन ने इस आधुनिक सीट बेल्ट का डिजाइन तैयार किया था लेकिन इसे उपयोग लायक बनाया नील्स बोहलिन ने.
2019 में Volvo ने इस सीट बेल्ट की 60वीं वर्षगांठ पर बड़े गर्व से कहा था कि, ‘नील्स बोहलिन की तरह चंद लोग ही होते हैं जो लाखों जिंदगियां बचा लेते हैं.” 1959 में नील्स द्वारा बनाई गई सीट बेल्ट V-टाइप थी और ये पहले बनी सीट बेल्ट के मुकाबले पहनने में आसान होने के साथ साथ बहुत सुरक्षित भी थी. नील्स ने ऐसी सीट बेल्ट तैयार की जिसके बिना अब कारों की कल्पना करना भी कठिन है.
एक दुर्घटना ने टाल दी लाखों की मौत
Moderna Museet
जब नील्स स्वीडन की कंपनी Saab के लिए काम कर रहे थे उन्हीं दिनों Volvo में कुछ ऐसा घटित हुआ कि उन्हें तुरंत Saab से Volvo में सेफ़्टी इंजीनियर नियुक्त कर लिया गया. दरअसल, उन दिनों Gunnar Engellau Volvo के अध्यक्ष थे. उन्हें एक सड़क दुर्घटना से व्यक्तिगत नुकसान झेलना पड़ा.
इस दुर्घटना में उनके एक करीबी रिश्तेदार की मौत हो गई. कार चलाते समय उनके रिश्तेदार ने सीट बेल्ट तो लगाई थी लेकिन ये 2 प्वाइंट सीट बेल्ट थी जो सिर्फ कमर की सुरक्षा करती थी. उस सीट बेल्ट के डिजाइन में कई कमियां थीं और इन्हीं कमियों की वजह से Gunnar Engellau को अपना एक करीबी रिश्तेदार हमेशा के लिए खोना पड़ा.
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वैसे तो Gunnar Engellau खुद एक इंजीनियर थे लेकिन अब उन्हें किसी ऐसे की जरूरत थी जो इस पुरानी सीट बेल्ट की कमियां दूर कर ऐसी सीट बेल्ट बना सके जो ज्यादा सुरक्षित हो और दुर्घटना के दौरान लोगों की जान बचाने में सहायक हो. व्यक्तिगत दुख झेलने के बाद Gunnar Engellau ने एक बेहतर समाधान के लिए अपनी प्रतिद्वंद्वी फर्म Saab के इंजीनियर निल्स बोहलिन को Volvo में नियुक्त किया. आगे वोल्वो ने नील्स की मदद से पुरानी सीट बेल्ट में आने वाली समस्याओं का बेहतर समाधान खोजा. इसके बाद वॉल्वो ने अपनी कारों में 3 प्वाइंट सीट बेल्ट को अनिवार्य कर दिया.
सीट बेल्ट ने बचाईं लाखों जानें
Car Blog India
3-प्वाइंट सुरक्षा बेल्ट ने सैकड़ों-हजारों लोगों की जान बचाई. इस सीट बेल्ट ने लाखों लोगों को ऐसी चोटें आने से बचाया जो गंभीर और जानलेवा हो सकती थीं. यही वजह है कि इसे ऑटोमोबाइल के 130 साल के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण आविष्कार माना जाता है.
1967 में प्रकाशित नील्स बोहलिन द्वारा किए गए एक वैज्ञानिक अध्ययन में 28,000 सड़क यातायात दुर्घटनाओं को कवर किया गया था, उसमें दिखाया गया कि बिना सीट बेल्ट पहने सफर करने वालों को पूरे गति पैमाने पर घातक चोटें लगी हैं. वहीं 37,511 लोगों ऐसे थे जिनकी जान इसलिए बच सकी क्योंकि उन्होंने 3-प्वाइंट सीटबेल्ट पहनी हुई थी.
और तो और, इस सीट बेल्ट ने Volvo को आर्थिक रूप से भी खूब लाभ पहुंचाया. 1978 तक, इस डिजाइन की शुरुआत करने वाले गुन्नार एंगेलौ ने वोल्वो के रेवेन्यू को $1 बिलियन तक बढ़ा दिया था. वॉल्वो ने एक साल में चार करोड़ से अधिक वाहनों का उत्पादन किया. हालांकि आर्थिक फायदे से ज्यादा कंपनी ने यात्रियों की सुरक्षा को महत्व दिया.