31 मई, 1925 को लुधियाना, पंजाब में जन्मे राज खोसला की गिनती ट्रेंडसेटर निर्देशकों में होती है. फिल्मों में महिला किरदारों की दमदार भूमिका के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है. राज खोसला की एक पहचान यह भी है कि वो एक अच्छे लेखक भी थे. अपनी तमाम फिल्मों की कहानियां उन्होंने खुद लिखीं और करीब चार दशक तक सिनेमा प्रेमिया के दिलों पर राज किया. वो कौन थी (1964), मेरा साया (1966), दो रास्ते (1969), कच्चे धागे (1973) और दोस्ताना (1980) जैसी फिल्मों के जरिए राज खोसला के टैलेंट को समझा जा सकता है.
हिन्दी सिनेमा को दर्जनों हिट फिल्में देना वाला डायरेक्टर
राज खोसला के कद को इससे समझा जा सकता है कि उन्हें फिल्म निर्माता महेश भट्ट का गुरू बताया जाता है. खोसला ने महेश भट्ट को जीवन भर प्रेरित किया. महेश भट्ट अपने कई इंटरव्यू में इसका जिक्र कर चुके हैं. महेश भट्ट के मुताबिक उन्हें पहली नौकरी राज खोसला ने ही दी थी. बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर उन्होंने अपना काम शुरू किया था. राज खोसला से फिल्म मेकिंग की बारीकियां सीखने के बाद महेश भट्ट आगे बढ़े और फिल्म निर्माण व निर्देशन की दिशा में नाम कमाया. मौजूदा दौर में वो फिल्म जगत के बेस्ट निर्देशकों में से एक हैं.
खुद फिल्म इंडस्ट्री से नफरत करते थे राज खोसला
हिन्दी सिनेमा को दर्जनों हिट फिल्में देने वाले राज खोसला के बारे में कहा जाता है कि उन्हें ‘फिल्म इंडस्ट्री’ से खास लगाव नहीं था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महेश भट्ट से एक बातचीत में उन्होंने कहा था, ‘मुझे फिल्म मेकिंग से प्यार है, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री से नफरत है. यह हारा हुआ खेल है, जिसमें जीत किसी की नहीं होती’. बता दें, गुरु दत्त ने फिल्म बाजी में राज खोसला को फिल्म में बतौर सहायक मौका दिया था.
राज खोसला अब हमारे बीच में नहीं हैं. उन्होंने 9 जून 1991 को दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था. मगर उनसे जुड़ी हर एक याद उनके चाहने वालों के दिलों में आज भी जीवंत है.