How to prevent heart disease: डॉक्टर बताते हैं कि जीवनशैली व खान-पान में बदलाव करके हार्ट डिजीज से बचा जा सकता है। आज के समय में सबसे ज्यादा मौतें दिल के दौरे और कार्डियक अरेस्ट से हो रहें हैं। ऐसे में जरूरी हैं कि हार्ट डिजीज के लक्षण और इससे बचाव के उपायों के बारे में आपको पता हो।
दुनियाभर में आजकल दिल की बीमारियों के वजह से कई सारी जानें जा रही है। पहले यह मामले ज्यादातर अधिक उम्र के लोगों में देखने लिए मिलते थे। लेकिन कोरोना महामारी (Covid-19) के बाद से सभी उम्र के लोगों का दिल खतरों से घिर गया है। ऐसे में इससे बचाव के उपायों को जानना बेहद जरूरी है। ऐसे में हार्ट हेल्थ के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 29 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व हृदय दिवस (World Heart Day 2022) भी मानाया जाता है। इस साल इसका थीम ‘हर दिल के लिए दिल का उपयोग करें’ रखा गया है।
हार्ट हॉस्पिटल, पटना के प्रबंध निदेशक व चेयरमैन डॉ. राजन ठाकुर बताते हैं कि हृदय शरीर का सबसे कठिन काम करने वाला अंग है। ऐसे में इसका कमजोर होना जानलेवा साबित होता है। इसी वजह से लोग जिम में एक्सरसाइज करते या डांस करते हुए कार्डियक अरेस्ट का शिकार हो जाते हैं।
डॉ. राजन ठाकुर कि मानें तो हम अपनी दिनचर्या, जीवनशैली व खान-पान में बदलाव लाकर हृदय संबंधी बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि आप कितने भी अमीर हो जाएँ, लेकिन पैसे से आप अपनी बीमारी को दूर नहीं कर सकते। अगर ऐसा होता, तो फिर हमें हाल ही में मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव (Raju Shrivastav ), 40 वर्षीय बॉलीवुड व टीवी इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला (Siddharth Shukla), वर्ल्ड क्लास स्पिनर शेन वार्न (Shane warne) की हार्ट अटैक से मौत की खबर सुनने को नहीं मिलती।
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हार्ट अटैक से ज्यादा खतरनाक कार्डियक अरेस्ट
डॉ. राजन ठाकुर बताते हैं कि हार्ट अटैक में फिर भी जिंदा रहने की संभावना रहती है। लेकिन, कार्डियक अरेस्ट के बाद तो 90 फीसदी लोग मौत के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में हार्ट अटैक आने पर मरीज को लेटाकर उनके कपड़ों को ढीला करना चाहिए। और कार्डियक अरेस्ट आने पर तुरंत सीपीआर देना चाहिए।
कार्डियक अरेस्ट में दिल काम करना बंद कर देता है। इसलिए जब तक मरीज अस्पताल नहीं पहुँच जाता है, तब तक मरीज की छाती को जोर-जोर से दबाने से उसकी जान बच सकती है। देखा गया है कि अगर कार्डियक अरेस्ट होने पर तुरंत सीपीआर दे दिया जाए, तो मरीज के जीवित रहने की संभावना 20-30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।