डॉक्‍टर ने बताई बच्‍चों में पेट दर्द होने की वजह, मां-बाप कभी सोच भी नहीं सकते ऐसा भी होगा

बड़ों ही नहीं बल्कि बच्‍चों में भी कब्‍ज की परेशानी बहुत देखी जाती है। बच्‍चे जंक फूड बहुत खाते हैं और उनकी ईटिंग हैबिट्स भी हेल्‍दी ना होने पर उनमें कब्‍ज होने का खतरा ज्‍यादा रहता है। कब्‍ज के कारण बच्‍चों को पेट दर्द भी हो सकता है। यहां पीडियाट्रिशियन से जानिए कि बच्‍चे को कब्‍ज होने पर क्‍या करना चाहिए।

pediatrician suggest remedies for constipation in kids
डॉक्‍टर ने बताई बच्‍चों में पेट दर्द होने की वजह, मां-बाप कभी सोच भी नहीं सकते ऐसा भी होगा
बच्‍चे अक्‍सर पेट दर्द होने की शिकायत करते हैं और उनमें कई बार कब्‍ज की शिकायत भी हो जाती है। बच्‍चों में कब्‍ज होना एक आम समस्‍या है लेकिन इतनी कम उम्र में कब्‍ज जैसी परेशानी उनकी सेहत के लिए बहुत बड़ा खतरा भी है। कब्‍ज को सौ बीमारियों की जड़ कहा जाता है और कम उम्र में कब्‍ज होने से बच्‍चे कई बीमारियों और स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं की चपेट में आ सकते हैं। बच्‍चों को कब्‍ज के कारण पेट दर्द भी हो सकता है। यदि समय पर कब्‍ज का इलाज ना किया या ये पुरानी हो जाए तो दीर्घकालिक कब्‍ज का रूप ले लेती है और यह और भी ज्‍यादा खतरनाक हो जाती है।

दीर्घकालिक कब्‍ज होने पर बच्‍चों की सबसे आम शिकायतें होती हैं बार-बार पेट दर्द, टाइट मल आना। ज्‍यादातर पैरेंट्स को लगता है कि कब्‍ज की वजह से मल त्‍याग करने में दिक्‍कत होती है लेकिन मेडिकली कब्‍ज में तीन चीजें हो सकती हैं – पहला मल त्‍याग करने में दिक्‍कत होना, दूसरा रोज मल त्‍याग ना कर पाना और तीसरा सूखा या कम मल आना और पेट का एक ही बार में खाली ना हो पाना।

इस आर्टिकल में पीडियाट्रिशियन डॉक्‍टर निहार पारेख से जानेंगे कि बच्‍चों में कब्‍ज का इलाज किस तरह से किया जा सकता है।

डॉक्‍टर की वीडियो

​कब्‍ज के अन्‍य लक्षण

दीर्घकालिक कब्‍ज के अन्‍य लक्षण हैं मल त्‍याग करते समय दर्द होना, पेट दर्द, बच्‍चे के अंडरवियर में मल लगा होना। इसका एक चिंताजनक लक्षण मल में खून आना भी है।

अगर पेट और आंतों के अंदर ही मल जमता रहे तो इससे बच्‍चे में भूख में कमी होने लगती है। कुछ गंभीर मामलों में बच्‍चे को गुदा वाले हिस्‍से के आसपास कट और नील भी पड़ जाती है। इस डर से बच्‍चा मल रोक कर रखता है जो कि और भी ज्‍यादा खतरनाक है। मल त्‍याग ना करने से बच्‍चे को कुपोषण, नाखुशी और अनहेल्‍दी महसूस होता है।

​क्‍या कहते हैं पीडियाट्रिशियन

पीडियाट्रिशियन डॉक्‍टर निहार पारेख का कहना है कि बच्‍चे को ज्‍यादा दूध देना बंद कर दें। बच्‍चा जितना ज्‍यादा दूध पीएगा, उसके पौष्टिक चीजों को खाने की चाहत उतनी ही कम होती जाएगी। पैरेंट्स को पता होना चाहिए कि बच्‍चे को कितना दूध पिलाना चाहिए।

फोटो साभार : TOI

​ये तो बिलकुल ना दें

मैदा से बनी चीजें जैसे कि बिस्‍कुट कब्‍ज पैदा करने में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा कई पैरेंट्स अपने बच्‍चें को प्‍लेन चावल खिलाते हैं। डाइट में सब्जियों की मात्रा कम होने से कब्‍ज होती है।

किन फूड्स को खिलाएं

अगर आपके बच्‍चे को दीर्घकालिक कब्‍ज है तो आप उसकी डाइट में कुछ बदलाव कर इसे ठीक कर सकते हैं। बच्‍चे को हाई फाइबर डाइट खिलाएं, उसके खाने में केले और अंजीर जैसे कुछ फलों को शामिल करें। बच्‍चे को रोज एक्‍सरसाइज करनी है और एक्टिव रहना है। उसे खूब सारा पानी पिलाएं।

फोटो साभार : TOI

​तब भी ठीक ना हो तो

अगर इतना सब करने के बाद भी कब्‍ज ठीक नहीं हो रही है तो आप बच्‍चे को डॉक्‍टर की सलाह पर दवा दे सकते हैं।