तीन बजे खुले बैजनाथ मंदिर के कपाट, रावण से जुड़ा है यहां का इतिहास, एक भी सुनार की दुकान नहीं

तीन बजे खुले बैजनाथ मंदिर के कपाट, रावण से जुड़ा है यहां का इतिहास, एक भी सुनार की दुकान नहीं

ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथसावन माह के पहले सोमवार पर शिवालयों में भक्तों का दिनभर तांता लगा रहा। मंदिरों में भक्तों ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया। बेलपत्र, भांग और प्रसाद चढ़ाया। सुबह से ही भक्त दर्शन के लिए आते रहे। ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में सावन माह के पहले सोमवार के मेले के लिए मंदिर के कपाट सुबह तीन बजे श्रद्धालुओं के लिए खोले गए। भोले बाबा के दर्शन के लिए सुबह से ही भक्तों की लंबी लाइनें लगी रहीं। मंदिर पुजारी सुरेंद्र आचार्य के अनुसार सावन माह में सोमवार के व्रत रखने और शिवलिंग पर बिल्व पत्र अर्पित करने से कुंवारी कन्याएं मनचाहे फल की प्राप्ति को संभव कर सकती हैं। सावन माह में शिव पूजा और जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है।
Sawan Somvar 2022: Sawan First Somvar Devotees Paid Obeisance In Lord Shiva Temples

हिमाचल के कांगड़ा स्थित बैजनाथ का ये मंदिर आज भी त्रेता युग की यादों को समेटे हुए हैं। कहा जाता है कि रावण भी यहां से शिवलिंग को लंका नहीं ले जा पाया था। बाद में यहीं पर भगवान शिव का मंदिर बनाया गया। मान्यता है कि रावण तीनों लोकों पर अपना राज कायम करने के लिए कैलाश पर्वत पर तपस्या कर रहा था। भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए उसने अपने दस सिर हवन में काटकर चढ़ा दिए थे। बाद में भगवान भोलेनाथ रावण की तपस्या से खुश हुए और उसके सिर उसे दोबारा दे दिए। यही नहीं भोलेनाथ ने रावण को असीम शक्तियां भी दी जिससे वह परम शक्तिशाली बन गया था। रावण ने एक और इच्छा जताई। उसने कहा कि वह भगवान शिव को लंका ले जाना चाहता है। भगवान शिव ने उसकी ये इच्छा भी पूरी की और शिवलिंग में परिवर्तित हो गए। मगर उन्होंने कहा कि वह जहां मंदिर बनवाएगा वहीं, इस शिवलिंग को जमीन पर रखे। रावण भी कैलाश से लंका के लिए चल पड़ा।
Sawan Somvar 2022: Sawan First Somvar Devotees Paid Obeisance In Lord Shiva Temples

रास्ते में उसे लघुशंका जाना पड़ा। वह बैजनाथ में रुका और यहां भेड़ें चरा रहे गडरिए को देखा। उसने ये शिवलिंग गडरिए को दे दी और खुद लघुशंका करने चला गया। क्योंकि शिवलिंग भारी था इसलिए गडरिए ने इसे थोड़ी देर के लिए जमीन पर रख दिया। जब रावण थोड़ी देर में वापस लौटा तो उसने देखा कि गडरिए ने शिवलिंग जमीन पर रख दी है। वह उसे उठाने लगा लेकिन उठा नहीं पाया। काफी कोशिश करने के बाद भी शिवलिंग जस से तस नहीं हुआ। रावण शिव महिमा को जान गया और वहीं मंदिर का निर्माण करवा दिया।
मान्यता है कि ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ से आधा किलोमीटर की दूरी पर पपरोला को जाने वाले पैदल रास्ते पर रावण का मंदिर और पैरों के निशान मौजूद हैं। 
Sawan Somvar 2022: Sawan First Somvar Devotees Paid Obeisance In Lord Shiva Temples
बैजनाथ में एक भी सुनार की दुकान नहीं है, जबकि दो किलोमीटर पर स्थित पपरोला बाजार प्रदेश भर में सोने के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर पुजारी सुरिंद्र आचार्य का कहना है कि रावण शिव का परम भक्त था।