तलाव कठनी में खुले स्वयंभू 11मुख हनुमान जी महाराज के कपाट

सुबाथू के तलाव कठनी स्तिथ 11मुख स्वयंभू हनुमान जी महाराज की प्राण प्रतिष्ठा और तिलक का कार्यक्रम जो पिछले एक महीने से पूरे वैदिक मंत्रों और हिंदू शास्त्रीय विधि विधान द्वारा नीमच मध्य प्रदेश, प्रयाग राज और बिलासपुर से आए आचार्यों व ब्राह्मणों द्वारा किए वैदिक मंत्रों द्वारा संपूर्ण हुआ जिसके उपरांत संत श्री चिंतराम रघुवंशी द्वारा हनुमान जी के आदेशानुसार भव्य मंदिर के मुख्य कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए गए।जिसके लिए संपूर्ण प्रांगण को दुल्हन की तरह सजाया गया था।हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा प्रभु 11मुखी हनुमान महाराज के साक्षात दर्शन किए गए।मंदिर के संत श्री चिंतराम रघुवंशी जी द्वारा सभी श्रद्धालुओं को आशीर्वाद व प्रसाद वितरित किया गया। समस्त श्रद्धालुओं द्वारा भंडारे का प्रसाद भी ग्रहण किया गया।

कहते हैं कि जब जब धरती पर पाप और अत्याचार बढ़ता है तब तब हनुमान जी महाराज द्वारा उनका संहार किया जाता है।और ये भी साक्ष्य है पुराणों में की 11 मुख हनुमान जी महाराज रुद्रावतार हैं और भगवान शंकर ने स्वयं प्रभु श्री राम जी की सेवा के लिए ये अवतार लिया है। ऐसी मान्यता है की अगर भगवान शंकर को खुश करना हो तो उनके समुख श्री राम का गुणगान करना चाहिए।
मंदिर के महाराज श्री संत राम जी को बचपन से ही हनुमान जी की भक्ति की लगन थी और लगभग 12 वर्ष पहले महाराज जी को स्वयं हनुमान जी द्वारा दृष्टांत दिया गया की ये 11मुख हनुमान जी के रूप में इस स्थान में विराजमान हूं और जब गुरु महाराज जी द्वारा खुदाई की गई तो सत्य में जैसा जैसा हनुमान जी द्वारा बताया गया वैसा ही रूप इस स्थान में पाया गया और कई चमत्कारी रहस्य सामने आए। तब से लेकर आजतक महाराज जी द्वारा हनुमान जी महाराज की सेवा आदेशानुसार की गई और आज वो पावन अवसर आ ही गया जब समस्त जन कल्याण के लिए मंदिर के कपाट खोले गए।

हर मंगलवार और शनिवार को मंदिर में हनुमान जी की चौकी लगती है जिसमें भक्तों के समस्त कष्टों का निवारण किया जाता है।

इसके अलावा स्वयं महाराज जी द्वारा जयेष्ठ बीरवार को कई असाध्य रोग जैसे केंसर,बवासीर,शुगर,
गठिया,पथरी,शारीरिक कष्ट आदि की दवाई दी जाती है और भक्तों के कष्टों का निवारण किया जाता है। इस शुअवसर पर हजारों श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर में 11मुखहानुमान जी के दर्शन कर उनके श्री चरणों में शीश नवाया गया और महाराज जी द्वारा सबको शुभाशीष दिया गया।