सूतक काल में बंद हुए मंदिरों के पट, 100 साल पुराना हिंगोट युद्ध भी आगे बढ़ा

ग्रहण के चलते मंदिरों के पट हुए बंद

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दीपवाली के दूसरे दिन मंगलवार को होने जा रहे सूर्य ग्रहण के कारण कई मंदिरों में स्थित प्रतिमाओं को कपड़ों से ढांक दिया गया है। शहर के समीप गौतमपुरा में होने वाला पारंपरिक हिंगोट युद्ध भी ग्रहण के कारण एक दिन आगे बढ़ गया। शहर के प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर के पट भी सुबह ग्रहण की वजह से बंद कर दिए गए। प्रतिमा को भी कपड़े से ढक दिया गया।

चांदी के प्लेट में लगेंगे 56 भोग
खजराना गणेश मंदिर में दिवाली के दूसरे दिन अन्नकूट उत्सव होता है, जिसमें भगवान गणेश को 56 भोग लगाए जाते हैं। इस साल ग्रहण के चलते अन्नकूट एक दिन बाद बुधवार को होगा। खजराना गणेश को चांदी की प्लेटों  में 56 भोग लगाया जाएगा। पहले भक्त व्यंजनों को प्लास्टिक की प्लेट में भोग परोसते थे, लेकिन अब भोग लगाने के लिए मंदिर प्रबंध समिति ने चांदी की छोटी थालियां बनवाई है।

दो गांवों के लोग लड़ते हैं हिंगोट युद्ध

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दो गांवों के लोग लड़ते हैं युद्ध
दीपावली के दूसरे दिन देपालपुर क्षेत्र के गौतमपुरा और रुणजी गांव के लोग आपस में हिंगोट से युद्ध लड़ते है। कलंगी और तुर्रा नाम की दो टीमें आमने-सामने से जलते बारुद के हिंगोट एक-दूसरे पर फेंकती है। इसमें कई लोग घायल भी हो जाते हैं। युद्ध को देखने के लिए हजारों की संख्या में ग्रामीण भी जुटते हैं।

100 वर्षों से जारी है हिंगोट युद्ध की परंपरा

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हिंगोरिया वृक्ष के फल से होता है युद्ध
गौतमपुरा के मोती सिंह पटेल ने बताया कि हिंगोरिया नाम के वृक्ष के फल को ग्रामीण सुखा लेते है। फल का खोल कड़क रहता है, उसमें बारुद भरकर हिंगोट बनाए जाते हैं। गांव में इस युद्ध की पंरपरा 100 वर्षों से भी ज्यादा पुरानी है। इस बार ग्रहण के कारण यह युद्ध बुधवार को होगा।