वो इंजीनियर जो नौकरी छोड़ बिना परिवार को बताए बन गया चायवाला, मेहनत के दम पर खोल लिए 7 चाय कैफे

जुनून एक ऐसी ताकत है जो आपसे कुछ भी करवा सकती है. इसी जुनून के कारण चाय बेचने वाले शख्स का बेटा अपनी मेहनत से आईआईटी में सीट पा जाता है, तो दूसरी तरफ यही जुनून है जो एक इंजीनियर से नौकरी छोड़ कर चाय बेचना शुरू करवा देता है. जी हां, आज हम आपको एक ऐसे ही जुनूनी की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने इंजीनियरिंग की अच्छी नौकरी पाई, लेकिन अंत में सब छोड़ कर चाय बेचने लगे.

चाय बेचने के लिए छोड़ दी नौकरी

ये कहानी है महाराष्ट्र के रहने वाले 24 वर्षीय गणेश की, जिन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, फिर नौकरी भी की लेकिन उन्हें इंजीनियरिंग से हट कर अपना करियर चुना और इसे छोड़ एक चाय की दुकान खोल ली. हालांकि इसे महज एक चाय की दुकान कहना उतना ही गलत होगा जितना किसी शानदार रेस्टोरेंट को ढाबा कहना. ऐसा इसलिए क्योंकि गणेश ने अपने चाय के बिजनेस को इतना सफल बना लिया कि 3 साल में उन्होंने इसके 7 आउटलेट्स खोल लिए हैं.

आजतक की एक रिपोर्ट के अनुसार गणेश बताते हैं कि 18 साल की उम्र में उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की थी. 6 साल बाद जॉब का ऑफर मिला तो उन्होंने 7 से 8 हजार में अपनी पहली जॉब शुरू की. हालांकि उन्हें जॉब नहीं करनी थी, इस बात का फैसला उन्होंने जॉब इंटरव्यू के समय ही कर लिया था. वह सिर्फ जॉब ही नहीं छोड़ना चाहते थे बल्कि इसके साथ ही इंजीनियरिंग फील्ड को भी अलविदा कहना चाहते थे.

बचपन से रहे चाय के शौकीन

इन सबके पीछे वजह थी उनकी चाय की एक दुकान खोलने की सोच. बचपन से चाय के शौकीन रहे गणेश ने बड़े होकर इंजीनियरिंग फील्ड छोड़ चाय के बिजनेस में ही अपना करियर बनाने का फैसला किया. हालांकि इसके लिए उन्हें अपनों का ही विरोध झेलना पड़ा. गणेश ने बताया कि जब उनके इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर चाय की दुकान खोलने के बारे में उनके परिवार वालों और रिश्तेदारों को पता चला तो सबने इसका खूब विरोध किया.

रिश्तेदारों ने सुनाए ताने

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किराने की दुकान चलाने वाले गणेश के पिता चाहते थे कि उनका बेटा पढ़ाई कर अच्छी नौकरी करे. यही वजह थी कि उन्होंने गणेश की छह साल की इंजीनियरिंग की पढ़ाई में इतना पैसा खर्च किया था. लेकिन गणेश के चाय की दुकान खोलने के फैसले ने उनकी उम्मीदों पर जैसे पानी फेर दिया. रिश्तेदारों ने गणेश से यहां तक कहा कि पढ़ाई लिखाई करने का फायदा ही क्या है जब एक चाय की दुकान चलानी थी.

बेशक सब विरोध में थे लेकिन गणेश खुद के लिए फैसला ले चुके थे और उन्होंने चाय की दुकान शुरू कर दी. हैरान करने वाली बात ये है कि उन्होंने 1 साल तक परिवार वालों को नहीं बताया कि वे एक चाय की दुकान चला रहे हैं. इस बिजनेस से जब उन्हें मुनाफा होने लगा तब उन्होंने परिवार से सच बताया.

फैसले को किया सही साबित

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मसाला चाय से शुरुआत करने वाले गणेश आज आठ तरह के फ्लेवर्स में चाय बेच रहे हैं. कमाल की बात ये है कि ये सभी फ्लेवर्स उनके खुद के बनाए हैं. आम, स्ट्रॉबेरी, गुलाब, केला, हॉट चॉकलेट और अन्य कई अलग फ्लेवर्स के अलावा वह अपनी चाय को सिरप या तरल रूप में नहीं, बल्कि प्रीमिक्स पाउडर के रूप में बनाते हैं. इनकी चाय की दुकान पर बैग को गर्म पानी में डुबो कर चाय बनाई जाती है. जिसे कोई भी आसानी से बना सकता है. गणेश अभी तक 7 आउटलेट खोल चुके हैं और उनके हर आउटलेट पर आपको चाय के कम से कम 20 फ्लेवर्स मिलेंगे.