इस शहर में बिकी थी पहली मोटर कार, दीवाने हो गए थे लोग, खरीदने वालों में शामिल थे जमशेदजी टाटा

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आज ऐसी कई चीजें हैं जो हमारे लिए बहुत आम हैं. लेकिन, एक समय यही चीजें ठीक उसी सपने की तरह थी जिस तरह आज हम चांद पर दुनिया बसाने के बारे में सोचते हैं. चार पहिया वाहनों के बारे में भी लोगों की सोच ऐसी ही रही होगी. किसी ने सोचा होगा कि इंसान बिना बैल जोते मोटर के जरिए चार पहियों पर चलेगा? वो कैसा समय रहा होगा जब भारत में पहली मोटर कार बेची गई होगी.

कलकत्ता में बिकी थी पहली कार

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आज के दौर में एक ही दिन में हमारे देश में हजारों-लाखों गाड़ियां बिक जाती हैं. केवल जुलाई में महिंद्रा की स्कॉर्पियो-एन की बुकिंग शुरू होने के मिनट भर में 25 हजार यूनिट बुक हो गई थीं. 30 मिनट में ये बुकिंग एक लाख तक पहुंच गई. ऐसे में ये जानना दिलचस्प रहेगा कि भारत की पहली कार कहां बिकी और किसने उसे खरीदा था. तो जान लीजिए कि देश की पहली कार कलकत्ता में बिकी थी. उन दिनों कलकत्ता ब्रिटिश हुकूमत के व्यापार और उद्योग का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता था.

एक उद्योगपति ने खरीदा था इसे

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ऐसे में भारतीय बाजार में पहली बार लॉन्च हुई कार कलकत्ता शहर में ही बिकी. इसी शहर के एक उद्योपति ने देश में बिकने वाली पहली कार खरीदी थी. हालांकि अलग-अलग जगहों इस बात का जिक्र है कि भारत की पहली कार क्रॉम्प्टन ग्रीव्ज से जुड़े मिस्टर फोस्टर ने खरीदी थी लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती. जहां तक रही ये बात कि पहली कार किस शहर में बिकी तो ये निश्चित कलकत्ता ही था. माना जाता है कि भारत में बिकने वाली पहली कार फ्रांस की DeDion थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस कार की लॉन्चिंग के लिए जब इश्तेहार छपा तो कलकत्ता में लोग इसके दीवाने हो गए.

मुंबई में एक साथ बिकी थीं 4 कारें

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उस दौर के अखबारों की रिपोर्ट के अनुसार, कलकत्ता में देश की पहली कार बिकने के कुछ ही समय बाद मुंबई में 4 कारें बेची गईं. चारों कारों को पारसी समुदाय के लोगों ने खरीदा था. इन चार लोगों में टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा भी थे. भले ही भारत में पहली कार कलकत्ता के एक उद्योगपति ने खरीदी हो लेकिन कार खरीदने वाले पहले भारतीय के रूप में महाराजा सर राजिंदर सिंह को जाना जाता है. 1892 में चार पहिया मोटर खरीद कर महाराजा पहले भारतीय कार मालिक बने थे.

साल 1907 तक कलकत्ता शहर में ये कारें जमींदार के बीच काफी लोकप्रिय हो चुकी थीं. माना जाता है कि ये कारें जमींदारों के रुतबा को बयां करती थीं. अपनी हैसियत को बढ़ाने के मकसद से उस दौर में खूब कारें खरीदी जाने लगीं. समय के साथ कई कई विदेशी कंपनियों ने भारत के बाजारों में अपनी कारें उतारीं लेकिन सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहीं Lanchesters और Ford Model T की कारें.