Chandauli Green Chilli News: चंदौली की हरी मिर्च ने देश ही नहीं विदेशों के जायकों को अपने स्वाद से स्वादिष्ट बना दिया है। बढ़ती मांग ने किसानों का हौसला बढ़ाया। किसानों ने बदलाव को स्वीकार किया तो आज खुशहाली उनके कदम चूम रही है। यहां की मिर्च बांग्लादेश और नेपाल तक पसंद की जा रही है।
चंदौली: बदलाव के लिए सोच में परिवर्तन प्रारंभिक शर्त होती है। आप बदलाव को तभी स्वीकार कर सकते हैं, जब उसके लिए सोचना शुरू करें। बदलाव एक रिस्क लेकर आता है। यह रिस्क आपको पहली बार में सोच न बदलने को मजबूर करेगा। लेकिन, रिस्क लेने वाले ही इतिहास बदलने की क्षमता रखते हैं। यह एक बार फिर साबित हुआ है। मामला खेती-किसानी का हो तो किसान ज्यादा जोखिम लेने की स्थिति में नहीं होते हैं। परंपरागत खेती की तरफ ही रुझान अधिक होता है। लेकिन, चंदौली के किसानों ने रिस्क लिया और आज वे लाभ की स्थिति में पहुंच रहे हैं। उनके उत्पाद की पहुंच देश ही नहीं, विदेशों तक हो गई है। जी हां, हम बात कर रहे हैं चंदौली के हरे मिर्च की खेती की। यहां पर उपजाई जाने वाली हरी मिर्च आज के समय में नेपाल, भूटान से लेकर बांग्लादेश तक का जायका बढ़ा रही है।
चंदौली में पहले यह स्थिति नहीं थी। किसानों के सामने धान और गेहूं उपजाने का विकल्प था। उसी में वे खुश थे। लेकिन, किसानों को नकदी फसल का आइडिया दिया गया। पहले तो किसानों को बाजार से लेकर उपज तक की चिंता होने लगी। लेकिन, कुछ किसानों ने रिस्क उठाया। खेती की। उपज अच्छी हुई। बाजार अपने आप मिला। किसानों के हाथ में नकद सीधे पहुंचने लगे। इसके बाद तो अन्य इलाके भी जुड़ते गए। धान का कटोरा कहा जाने वाला गंगा नदी के तराई क्षेत्र में स्थित चहनपियां, धानापुर, नौगढ़, शहाबगंज के पर्वतीय इलाकों में हरी मिर्च की खेती बड़े पैमाने पर होने लगी है। किसान कहते हैं कि खेती में लागत अधिक आ रही है, लेकिन मुनाफा भी खूब हो रहा है। यही कारण है कि यहां का हर किसान 10 से 20 बीघे में मिर्च की फसल लगा रहा है। उन्हें बाजार भी ढूंढ़ना नहीं पड़ रहा। खेत से फसल बिक रही है और मुनाफा मिल रहा है।
लागत से 10 गुना तक मुनाफा
मिर्च की खेती में मुनाफा बढ़िया हो रहा है। एक किसान बताते हैं कि प्रति बीघा मिर्च की फसल लगाने और उसकी देखरेख पर करीब 50 से 60 हजार रुपये का खर्च आता है। वहीं, इससे आमदनी लाखों में हो जाती है। किसान अपनी लागत से दो से तीन गुना तक मुनाफा कमा रहे हैं। इसके अलावा सैकड़ों लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। यह किसान और मजदूर दोनों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बना रही है। एक किसान बताते हैं कि एक बीघा की मिर्च की फसल से करीब-करीब पांच लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है। अगर मिर्च का दाम बढ़ा रहा तो यह आमदनी उसी लिहाज से बढ़ती है। मतलब, लागत से करीब 10 गुना तक। इतनी आमदनी किसी अन्य फसल में नहीं मिल पाती। इस कारण बड़ी संख्या में किसान इस फसल की तरफ रुख किए हैं।