राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं इस बात की हैं कि चुनावों में विकास के साथ-साथ अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम से निकलने वाले हिंदुत्व के एजेंडे का असर सभी चुनावी राज्यों पर पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अयोध्या में हैं। दीपोत्सव कार्यक्रम के जरिए भाजपा चुनावी राज्यों को भी साधने की कोशिश करेगी। सियासी जानकारों का मानना है कि अगले डेढ़ साल के भीतर होने वाले उत्तर से लेकर दक्षिण के तकरीबन एक दर्जन राज्यों के चुनावों में अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम से चुनावी धार भी मिलेगी। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं इस बात की हैं कि चुनावों में विकास के साथ-साथ अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम से निकलने वाले हिंदुत्व के एजेंडे का असर सभी चुनावी राज्यों पर पड़ सकता है।
राजनीतिक विश्लेषक जटाशंकर सिंह कहते हैं कि अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम से भारतीय जनता पार्टी के लिहाज से सभी चुनावी राज्य सधने वाले हैं। वह कहते हैं कि रविवार को होने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम का सबसे शुरुआती असर गुजरात के और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में पड़ेगा। उनका कहना है कि गुजरात और अयोध्या का इमोशनल कनेक्ट तो बीते कई सालों से बना हुआ है। जानकारी के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने चुनावी राज्यों की रणनीति को अयोध्या से साधा है। इसके लिए बकायदा अयोध्या में अलग-अलग चुनावी राज्यों के कुछ बड़े नेताओं की बैठक हो चुकी है।
अयोध्या में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की हुई बैठक में शामिल तेलंगाना के वरिष्ठ नेता सीडी एन राव बताते हैं कि अयोध्या उनके लिए एक शहर नहीं बल्कि शुरुआत से ही एक इमोशनल कनेक्ट वाला स्थान रहा है। यही वजह है कि प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी के नेताओं से लेकर कुछ जिलों के नेता अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व के पदाधिकारियों के साथ उनकी बैठक हुई है और बैठक में तय किए गए एजेंडे के अनुसार ही तेलंगाना में वह अपनी राजनीतिक पारी को आगे बढ़ाने के लिए सोमवार को वापस रवाना हो जाएंगे। तेलंगाना की तरह ही गुजरात के नेता रविवार को होने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अयोध्या पहुंचे हैं।
कच्छ भाजपा के अनिरुद्ध भाई पटेल कहते हैं कि उनके साथ कुछ और नेता भी अयोध्या पहुंचे हैं। और वह सोमवार को वापस गुजरात पहुंच जाएंगे। पटेल कहते हैं कि उनके नेताओं की कुछ बड़े नेताओं के साथ बैठक हुई है। शाम को दीपोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने के बाद उनकी पूरी टीम वापस गुजरात चुनाव प्रचार के लिए निकल जाएगी। उनका कहना है कि बीते तीन दिनों अलग-अलग राज्यों के कई कद्दावर नेता अयोध्या में एकत्रित हैं। जो कि यहां पर रविवार की शाम को होने वाले दीप उत्सव कार्यक्रम में शामिल भी होंगे और उससे पहले चुनावी बैठकों का पूरा एक दौर भी संपन्न कर चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के सियासी जानकार जीडी शुक्ला कहते हैं कि दीपोत्सव कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शामिल होना महज दीपोत्सव कार्यक्रम तक ही सीमित नहीं माना जाना चाहिए। वो कहते हैं कि खासतौर से तब जब देश के कई राज्यों में चुनाव हो रहे हो तो इसके मायने सियासी भी हो जाते हैं। शुक्ला कहते हैं कि बीते कुछ सालों में अयोध्या और काशी में हुए आयोजनों के साथ चुनावी राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने हिंदुत्ववादी एजेंडे के साथ बेहतर चुनावी समीकरण साध कर सरकार भी बनाई है। वह कहते हैं कि इसी लिहाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बद्रीनाथ केदारनाथ और फिर अयोध्या में दीपोत्सव का कार्यक्रम महज सामान्य कार्यक्रम ना हो का सियासी समीकरण वाला कार्यक्रम भी माना जा रहा है।
राजनीतिक जानकार एनके माथुर कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरीके से बद्रीनाथ केदारनाथ और फिर अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने की योजना बनाई वह भाजपा के लिहाज से हर मायने में खरा सौदा ही है। माथुर कहते हैं कि सियासी पिच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ये तीनों कार्यक्रम भारतीय जनता पार्टी के लिए बूस्टर डोज की तरह है। उनका मानना है कि भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व के एजेंडे पर चुनावी राज्यों को संदेश इससे बेहतर किसी भी शहर से नहीं दे सकती है। इसी लिहाज से बद्रीनाथ केदारनाथ यात्रा के बाद अयोध्या में हो रहे दीपोत्सव कार्यक्रम से भारतीय जनता पार्टी ने सिर्फ गुजरात और हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि अगले साल होने वाले तकरीबन दस अन्य राज्यों और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को भी सियासी लिहाज से साध लिया है।