अगले तीन महीने में हिंद महासागर (Indian Ocean) में ईरान, रूस और चीन की नौसेनाओं का जमावड़ा रहेगा। ईरान की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है। इस दौरान एक संयुक्त नौसेना अभ्यास में ये तीनों सेनाएं शामिल रहेंगी। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान और ओमान के अलावा कुछ और देश भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
तेहरान: आने वाले तीन महीनों में हिंद महासागर के उत्तर में रूस,ईरान और चीन की नौसेनाओं का जमावड़ा होने वाला है। भारत के करीब ये सेनाएं एक मिलिट्री ड्रिल को अंजाम देंगी। ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बाकरी ने गुरुवार को अमेरिका समेत तमाम देशों को चेतावनी देते हुए इस बात की जानकारी दी है। बाकरी ने कहा है कि उनका देश क्षेत्रीय सीमा में किसी भी तरह के बदलाव पर शांत नहीं बैठेगा। इसके साथ ही उन्होंने अजरबैजान और अर्मेनिया से अपील की है कि वो अपने सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएं। ईरान इसी साल से शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) का सदस्य बना है। इस मिलिट्री ड्र्रिल को रणनीतिक तौर पर काफी अहम करार दिया है।
दो दुश्मन भारत के करीब
मेजर जनरल बाकरी गुरुवार को एक डिफेंस वीक को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने यह बात कही। बाकरी ने इस कार्यक्रम से इतर कहा कि रूस, चीन और ईरान अगले तीन माह के अंदर एक नेवी ड्रिल की योजना बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि हिंद महासागर के उत्तर में इस ड्रिल का आयोजन होगा। बाकरी ने यह भी कहा कि इस ड्रिल में पाकिस्तान और ओमान भी शामिल हो सकते हैं।
इस साल जनवरी में ओमान की खाड़ी में ईरान, चीन और रूस पहले ही एक नौसेना अभ्यास कर चुके हैं। इस साल अप्रैल में ही ईरान के नौसेना प्रमुख रीयर एडमिरल शाहराम ईरानी ने कहा था कि उनकी नौसेना हिंद महासागर के अलावा मुक्त समुद्री सीमाओं में अपनी मौजूदगी बरकरार रखेगी। एडमिरल ईरानी ने कहा था कि किसी भी देश की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह ईरान के क्षेत्रीय सामुद्रिक सीमा में दाखिल हो सके।
साल 2019 से अभ्यास
ईरान साल 2019 से रूस और चीन के साथ नौसेना अभ्यास कर रहा है। वह अब लाल सागर और उत्तर-पश्चिम हिंद महासागर से आगे अपने कदम मजबूत करना चाहता है। साल 2016 में ईरान और अमेरिका की नौसेनाओं के बीच बड़ा टकराव हुआ था। अमेरिकी नौसेना का पांचवा बेड़ा बहरीन में है। इस फसाद को राजनयिक प्रयासों के बाद सुलझाया जा सका था। ईरान अपने सभी जहाजों के साथ एक सुरक्षा घेरा भेजता है। एडमिरल ईरानी का दावा है कि ईरान की नौसेना की मौजूदगी न सिर्फ इस क्षेत्र बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा की गारंटी है।
ईरान की पारंपरिक सेना आरतेश और रेवॉल्यूशनरी गार्ड (IRGC) के पास अपन नौसेना बल है। अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच ही ईरान, चीन और रूस के साथ आपसी सहयोग बढ़ा रहा है। हाल के कुछ वर्षों में रूस और चीन की वॉरशिप्स ने ईरान के कई चक्कर लगाए हैं। साल 2015 की परमाणु डील को बहाल करने की कोशिशों में ईरान नियमित तौर पर मिलिट्री ड्रिल्स का आयोजन कर रहा है।
अमेरिका को बताया खतरा
ईरान ने इजरायल की गतिविधियों के बारे में आगाह किया है। इसके अलावा बाकरी ने फारस की खाड़ी में दक्षिणी किनारे पर बसे देशों को इजरायल की साजिश के बारे में चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि ईरान की सेनाएं हर गतिविधि पर नजर रख रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर उनके नौसैनिक बेड़े को किसी तरह का खतरा हुआ तो फिर उसका जवाब दिया जाएगा। मेजर जनरल बाकरी ने अमेरिका को क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा करार दिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में इस खतरे के बिना ईरान का भविष्य तय हो सकेगा।