रोने की आवाज से लगा था बच्ची का पता, 40 घंटे बाद कुएं से निकाली गई, तब गांव में मनी दिवाली

बच्ची को सुरक्षित बचाया गया

कहते हैं मारने से बचाने वाला बड़ा होता है…ऐसा ही एक मामला फिरोजाबाद के टूंडला में नगला सिंघी थाना इलाके में सामने आया है। गांव बासदानी की घटना के बाद ग्रामीण ईश्वर का धन्यवाद देते नहीं थक रहे हैं। दरअसल गांव निवासी देवेंद्र सिंह की ढाई साल की बेटी रविवार शाम से लापता थी, परिजन उसे तलाश रहे थे। कहीं भी पता नहीं चलने पर सबकी सांसें अटकी हुईं थीं, लेकिन उधर, सूखे कुएं में पसरे घुप अंधेरे में उस मासूम की सांसें चल रही थीं। आखिर करीब 40 घंटे बाद मंगलवार सुबह गांव से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित कुएं तक जाकर बच्ची की तलाश पूरी हुई। पुलिस ने बच्ची को स्वास्थ्य परीक्षण के लिए जिला अस्पताल भिजवाया, जहां उसे स्वस्थ बताया गया। रविवार शाम साढ़े पांच बजे देवेंद्र घर से सब्जी लेने के लिए निकले। इसी दौरान घर के बाहर खेल रही सबसे छोटी बेटी ढाई साल की प्रेमलता पीछे-पीछे चली गई। इसकी जानकारी न तो देवेंद्र को हुई और न किसी परिजन को।

बच्ची को सुरक्षित बचाया गया

बच्ची को न पाकर परिजन चिंतित हो गए और इधर-उधर तलाश शुरू की, लेकिन उसका कहीं कोई पता नहीं लगा। बच्ची के लापता होने की खबर से गांव में दिवाली की खुशियों पर ग्रहण लग गया। इसके बाद देवेंद्र ने पुलिस को बच्ची के लापता होने की जानकारी दी।

बच्ची को बचाने के लिए जुटे लोग

सोमवार को पुलिस ने गांव स्थित तालाब को खाली कराकर उसमें बच्ची की खोज शुरू की। यहां भी कुछ नहीं मिला। आसपास के गांवों में भी पता करवाया।
मंगलवार को सुबह करीब सात बजे परिजन बच्ची की तलाश करते हुए गांव से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित कुएं पर पहुंचे।

बच्ची को सुरक्षित बचाया गया

बच्ची को सुरक्षित बचाया गया

यहां बच्ची के रोने की आवाज सुनकर कुछ उम्मीद जगी। तत्काल पुलिस को बुलवाया गया। कुछ ही देर बाद राहत एवं बचाव कार्य शुरू हो गया। एक व्यक्ति को कुएं में उतारा गया तो देखा कि प्रेमलता रो-रोकर निढ़ाल हो चुकी थी।

बच्ची को सुरक्षित बचाया गया

उसे तत्काल रस्सी की मदद से बाहर निकाला गया और स्वास्थ परीक्षण के लिए अस्पताल भिजवाया। बच्ची को सुरक्षित पाकर परिजन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसके बाद गांव में दिवाली मनाई गई।

बच्ची को सुरक्षित बचाया गया

40 घंटे भूखी-प्यासी कुआं में पड़ी रही ढाई साल की प्रेमलता
घुप अंधेरे में डरी सहमी बालिका 40 घंटे तक कुआं में रोती-बिलखती रही। कुआं में उतरे ग्रामीणों की मानें तो कुआं में कीड़े मकोड़े भी थे। बालिका लगातार इतने घंटे भूखी प्यासी रहकर भी स्वस्थ रही। ग्रामीण इसे ईश्वरीय कृपा मान रहे हैं।

बच्ची को सुरक्षित बचाया गया

बच्ची पिता के पीछे जाते हुए कुएं में गिरी थी। फायर ब्रिगेड और ग्रामीणों की मदद से बच्ची को सकुशल बाहर निकलवाया है। उसका स्वास्थ्य परीक्षण कराया है।