लाड़ली के लिए शहीद को भूली सरकार, दंगों में शहादत देने वाले विजय जागीरदार को समर्पित सड़क का नाम बदला

इंदौर में नगर निगम ने स्कीम-140 में उद्यान का नाम और महू नाका सर्कल से हेमू कालानी सर्कल तक की सड़क का नामकरण लाड़ली लक्ष्मी के नाम पर किया, जबकि वर्ष 1986 में यह सड़क शहीद विजय जागीरदार के नाम पर थी।

इस मार्ग का नामकरण लाडली लक्ष्मी के नाम पर किया गया है, जबकि पहले यह विजय जागीरदार पथ कहलाता था।
इस मार्ग का नामकरण लाडली लक्ष्मी के नाम पर किया गया है, जबकि पहले यह विजय जागीरदार पथ कहलाता था।

मध्यप्रदेश सरकार ने चुनावी साल में लाड़ली लक्ष्मी योजना को नए सिरे से लांच किया है। एक साथ प्रदेश के 52 जिलों में एक सड़क और वाटिका का नामकरण लाड़ली लक्ष्मी के नाम पर किया गया। इंदौर में नगर निगम ने स्कीम-140 में उद्यान का नाम और महू नाका सर्कल से हेमू कालानी सर्कल तक की सड़क का नामकरण लाड़ली लक्ष्मी के नाम पर किया, जबकि वर्ष 1986 में यह सड़क शहीद विजय जागीरदार के नाम पर थी। विजय उसी मार्ग पर रहते थे और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इंदौर में भड़के सिख दंगों में उन्होंने अपने पड़ोस में रहने वाले सिख परिवार को बचाया था, लेकिन खुद शहीद हो गए थे। तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। बाद में  इस मार्ग का नामकरण विजय जागीरदार पथ किया गया था। अब कांग्रेस इस मुद्दे को उठाने की तैयारी कर रही है।

पहले भी हुई थी नाम बदलने की कवायद 
वर्ष 2006 में कलेक्ट्रेट तिराहे का सौंदर्यीकरण किया गया था और चौराहे पर शहीद हेमू कालानी की प्रतिमा लगाई गई थी। सौंदर्यीकरण के समय विजय जागीरदार पथ की पत्थर भी हटा दिया गया था। तब चौराहे का नामकरण हेमू कालानी के नाम पर किया गया था और सर्कल से महूनाका चौराहे तक के मार्ग का नामकरण भी उनके नाम पर किया जा रहा था, लेकिन पहले ही सड़क विजय जागीरदार के नाम होने की जानकारी मिलने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया, लेकिन इस बार अफसरों ने सड़क के नामकरण की पुरानी जानकारी जुटाए बगैर नए सिरे से सड़क का नामकरण लाड़ली लक्ष्मी पथ कर दिया।

शहीद का अपमान है
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा का इस बारे में कहना है, कि कई वर्षों तक मार्ग पर शहीद विजय जागीदार की नाम पट्टिका मैंने खुद देखी। सरकार चुनावी साल में सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए शहीदों का अपमान करने से भी नहीं चूक रही है। इस सड़क का नामकरण गलत तरीके से किया गया है।

नामकरण को लेकर हो चुके हैं विवाद 
शंकर लालवानी सभापति थे। तब जिला कोर्ट के पास की चाट गली की सड़क का नाम स्वर साम्रज्ञी लता मंगेश्कर के नाम पर करने की घोषणा की थी, लेकिन मार्ग का नाम पूर्व में ही संवत्सर मार्ग था। बाद में घोषणा वापस लेना पड़ी। इसी तरह स्वदेशी मिल ब्रिज के नामकरण को लेकर भी विवाद हुआ था। पूर्व सांसद होमी दाजी की पत्नी पेरिन ने ब्रिज का नामकरण होमी दाजी के नाम पर करने की मांग की थी और आंदोलन भी हुआ था, लेकिन तब जनप्रतिनिधि ब्रिज का नामकरण शिवाजी के नाम पर करना चाहते थे। विवाद ने तब इतना तूल पकड़ा था कि ब्रिज के लोकार्पण का कार्यक्रम रद्द हो गया और बगैर लोकार्पण के ही ब्रिज यातायात के लिए शुरू करना पड़ा।

वीरता पुरस्कार भी मिल चुका है विजय को 
लालबाग पैलेस के सामने विजय जागीरदार का परिवार रहता था। 1984 में जब दंगे भड़के तो उन्होंने पड़ोस में रहने वाले एक सिख परिवार को अपने घर में शरण दी। दंगाईयों को यह पता चला तो वे उनके घर हमला करने आ गए। विजय लठ्ठ लेकर अपने घर के बाहर खड़े हो गए और दंगाईयों को भीतर घुसने नहीं दिया। दंगाईयों ने उन्हे मार-मार कर घायल कर दिया, लेकिन विजय ने सिख परिवार की दंगाईयों से जान बचाई। उनकी मौत के कुछ वर्षों बाद सरकार ने विजय के परिजनों को विरता पुरस्कार से भी सम्मानित किया था। विजय जागीरदार का परिवार फिलहाल उषा नगर क्षेत्र में रहता है।