कृषि छोड़ सोलन का किसान अपने हकों के लिए सोलन के माल रोड़ पर करता रहा प्रदर्शन |
सोलन का अन्नदाता अपनी फसल से ज़्यादा अपनी ज़मीन की चिंता करते नज़र आया | जहाँ किसान को टमाटर के सीज़न में अपने खेतों में नज़र आना चाहिए था वह सोलन के मिनी सचिवालय से लेकर सोलन के माल तक प्रदेश सरकार के खिलाफ नारे मार रहा था | सभी किसानों के माथे पर चिंता की गहरी लकीरें थी और उनकी एक ही मांग थी कि वह नगर निगम के नाम पर अपनी ज़मीनों और अधिकारों की बलि नहीं चढ़ने देंगे |
इसको लेकर भारी संख्या में आए गाँव वासियों ने मिनी सेक्ट्रिएट के बाहर धरना प्रदर्शन किया और प्रदेश सरकार के खिलाफ जम कर नारे बाजी की | किसानों का कहना था कि नगर निगम में सोलन की आठ पंचायतों को शामिल किया जा रहा है | लेकिन सभी आठ पंचायतें इसका विरोध कर रही है | गौर तलब है कि भाजपा समर्थित प्रधान भी प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल बैठे हैं जो प्रदेश सरकार के लिए एक चिंता का विषय है |
ग्रामीण संघर्ष समिति के बैनर तले नीरज और अन्य किसानो ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि जब प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि यह ब्यान दे रहे है कि नगर निगम में आठ पंचायतों को शामिल नहीं किया जाएगा तो प्रदेश सरकार इस बारे में नोटिस जारी क्यों नहीं कर रही है | इसी को लेकर आज किसानों ने सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया है और उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री हिमाचल को ज्ञापन सौंपा है | उन्होंने कहा कि एक और देश के प्रधान मंत्री कृषि , कृषक ओर गाँव को सशक्त करने की बात कह रहे है लेकिन प्रदेश सरकार किसानों के हकों को छीनने लगी है जिसे वह कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे |
उन्होंने कहा कि आज का प्रदर्शन केवल चेतावनी भर है और केवल कुछ किसानों द्वारा ही प्रदर्शन किया गया है लेकिन 21 सितंबर को गाँव के हज़ारों लोग सड़कों पर उतरेंगे | प्रदेश सरकार उनकी आवाज़ को कुचलने के लिए चाहे जितने भी मामले दर्ज करे लेकिन वह अब पीछे हटने वाले नहीं है और उन्होंने मन बना लिया है कि वह अपने गाँव की सोना उगलती ज़मीन का एक इंच भी नगर निगम में मिलने नहीं देंगे |