The happiness of the entire creation is the foundation of Indian culture. Sadhana Thakur

सम्पूर्ण सृष्टि का सुख भारतीय संस्कृति का आधार-डाॅ. साधना ठाकुर

मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी और रेडक्राॅस सोसायटी अस्पताल कल्याण शाखा की अध्यक्ष डाॅ. साधना ठाकुर ने कहा कि भारतीय संस्कृति सम्पूर्ण सृष्टि के सुख और सभी प्राणियों के निरोग रहने के मूल मंत्र को आत्मसात करती है और सभी प्राणियों का हित भारतीय संस्कृति का आधार है। डाॅ. साधना ठाकुर गत दिवस यहां कोठों में मस्कुलर डिस्ट्राॅफी पुनर्वास केन्द्र ‘मानव मंदिर’ में इस रोग से पीड़ित बच्चों, रोगियों, उनके अभिभावकों एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों को सम्बोधित कर रही थीं। 
डाॅ. साधना ठाकुर ने कहा कि सभी निरोगी एवं सुखी रहें के मूल मंत्र के साथ भारतीय संस्कृति ने सदैव स्वस्थ एवं स्वच्छ सृष्टि की कल्पना की है।

इस कल्पना में मानव जाति का कल्याण निहित है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में चिकित्सा विज्ञान की उन्नति के साथ हमें अनेक ऐसे जटिल रोगों की जानकारी मिली है जो अभी तक असाध्य हैं। मस्क्युलर डिस्ट्राॅफी एक ऐसा ही रोग है। उन्होंने कहा कि ऐसे रोग से पीड़ित बच्चों और रोगियों के पुनर्वास में मानव मंदिर द्वारा किया जा रहा कार्य न केवल सराहनीय है अपितु जन-जन के लिए अनुकरणीय है।
रेडक्राॅस सोसायटी अस्पताल कल्याण शाखा की अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे रोगियों का विभिन्न माध्यमों से पुनर्वास सुनिश्चित बनाकर हम भारतीय संस्कृति के निरोगी रहने की अवधारणा की दिशा में निःसंदेह आगे बढ़ रहे हैं।

डाॅ. साधना ठाकुर ने कहा कि वे स्वयं बाल रोग विशेषज्ञ हैं और ऐसे असाध्य रोग होने पर माता-पिता की मजबूरी को समझ सकती हैं। उन्होंने कहा कि मानव मंदिर रोगियों के साथ-साथ अभिभावकों को संबल प्रदान करने वाला संस्थान बनकर उभर रहा है। उन्होंने आशा जताई कि मानव मंदिर भवष्यि में इस दिशा में और आगे बढ़ेगा और रोगियों तथा उनके अभिभावकों के लिए आशा की किरण बनकर उभरेगा।  
उन्होंने कहा कि  इंडियन एसोसिएशन आॅफ मस्क्युलर डिस्ट्राॅफी (आईएएमडी) की अध्यक्ष एवं सचिव स्वयं इस बीमारी से पीड़ित होकर भी जिस प्रकार सभी को मानव उत्थान की दिशा में प्रेरित कर रहे हैं वह अत्यन्त उत्साहवर्धक है।

डाॅ. साधना ठाकुर ने इस अवसर पर आईएएमडी सोलन के पदाधिकारियों एवं सदस्यों स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
सुप्रसिद्ध समाजसेवी उमा बाल्दी ने मानव मंदिर की अवधारणा पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने मानव मंदिर की कल्पना को साकार करने के लिए विशेष रूप से सतलुज जल विद्युत निगम द्वारा प्रदत्त अंशदान एवं अन्य द्वारा किए गए सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।  
आईएएमडी की अध्यक्ष संजना गोयल ने इस अवसर पर पीपीटी के माध्यम मानव मंदिर के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि मानव मंदिर में पुनर्संजीवन, जागृति, साथी, सम्पर्क, संदेश इत्यादि माध्यमों से मस्क्युलर डिस्ट्राॅफी से पीड़ित रोगियों का पुनर्वास करने का प्रयास किया जा रहा है।

आईएएमडी के सचिव विपुल गोयल ने कहा कि मानव-मंदिर में इस रोग पर जागरूकता शिविर आयोजित करने के साथ-साथ आवासीय फिजियोथेरेपी, उचित देखभाल प्रबंधन, व्हील चेयर स्पोर्ट, आर्थिक सहायता और परीक्षण की सुविधा दी जा रही है। यहां मरीजों को हाईड्रोथेरेपी भी प्रदान की जा रही है। हाईड्रोथेरेपी अर्थात जल द्वारा उपचार की विधा को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा रहा है।
प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा कीे अध्यक्ष रश्मिधर सूद, शूलिनी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीके खोसला, आईएएमडी के पदाधिकारी एवं सदस्य मस्क्युलर डिस्ट्राॅफी से पीड़ित रोगी एवं उनके अभिभावक तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।