#वाइल्ड फ्लावर हॉल को हाईकोर्ट ने सरकार की संपत्ति ठहराया है। इंडिया होटल कंपनी से वापस लेने का पूरा अधिकार है।*
अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के पास संपत्ति को ओबरॉय ग्रुप और ईस्ट इंडिया होटल कंपनी से वापस लेने का पूरा अधिकार है। अदालत ने कंपनी के साथ किए करार को रद्द करने के निर्णय को सही ठहराया है।
पर्यटन नगरी शिमला के छराबड़ा में वाइल्ड फ्लावर हॉल को हाईकोर्ट ने सरकार की संपत्ति ठहराया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के पास संपत्ति को ओबरॉय ग्रुप और ईस्ट इंडिया होटल कंपनी से वापस लेने का पूरा अधिकार है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने ओबरॉय ग्रुप और ईस्ट इंडिया होटल कंपनी की अपील को खारिज कर दिया है। अदालत ने कंपनी के साथ किए करार को रद्द करने के निर्णय को सही ठहराया है। वर्ष 1993 में भीषण आग लगने से वाइल्ड फ्लावर हॉल पूरी तरह से नष्ट हो गया था। इस स्थान पर नया होटल बनाने के लिए राज्य सरकार ने ईस्ट इंडिया होटल कंपनी के साथ करार किया था। करार के अनुसार कंपनी को चार साल के भीतर पांच सितारा होटल का निर्माण करना था। ऐसा न करने पर कंपनी को दो करोड़ रुपये जुर्माना प्रतिवर्ष राज्य सरकार को अदा करना था। वर्ष 1996 में सरकार ने कंपनी के नाम जमीन का स्थानांतरण किया था।
छह वर्ष बीत जाने के बाद भी कंपनी ने पूरी तरह होटल को उपयोग के लिए नहीं बनाया। 2002 में सरकार ने कंपनी के साथ किए गए करार को रद्द कर दिया। सरकार के इस निर्णय को कंपनी लॉ बोर्ड के समक्ष चुनौती दी गई। बोर्ड ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। सरकार ने इस निर्णय को हाईकोर्ट की एकल पीठ के समक्ष चुनौती दी। हाईकोर्ट ने मामले को निपटारे के लिए मध्यस्थ के पास भेजा। मध्यस्थ ने कंपनी के साथ करार रद्द किए जाने के सरकार के फैसले को सही ठहराया था और सरकार को संपत्ति वापस लेने का हकदार ठहराया था। इसके बाद एकल पीठ के निर्णय को कंपनी ने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। खंडपीठ ने कंपनी की अपील को खारिज करते हुए अपने निर्णय में कहा कि मध्यस्थ की ओर से दिया गया फैसला सही और तर्कसंगत है। कंपनी के पास यह अधिकार बिलकुल नहीं कि करार में जो फायदे की शर्तें हैं, उन्हें मंजूर करे और जिससे नुकसान हो रहा हो, उसे नजरअंदाज करे।